25 मई से नौ दिनों तक तापमान में हो सकता है इजाफा, बारिश की भी है संभावना
संवाद सूत्र मधेपुरा 25 मई को सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेगा। यह 15 दिनों तक रहेगा।
संवाद सूत्र, मधेपुरा : 25 मई को सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेगा। यह 15 दिनों तक रहेगा। धरती पर सूर्य की लंबवत किरणें पड़ने के कारण तापमान में बढ़ोतरी रिकार्ड की जा सकती है। ग्रहों के अनुसार बारिश के समयानुकूल होने के योग बन रहा है।
पंडित डा. तेजनारायण आर्य ने बताया कि सूर्य 25 मई की सुबह रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेगा। इसके साथ ही नौतपा प्रारंभ हो जाएगा। नौतपा के नौ दिनों को गर्मी का चरम माना जाता है। लेकिन इस बार 30 मई को शुक्र के अपनी ही राशि वृषभ में अस्त होने के कारण गर्मी में कमी आ सकती है। नौतपा के आखिरी दो दिन तेज हवा, आंधी चलने व बारिश होने का भी योग है। शुक्र रस प्रधान ग्रह है। इसलिए वह गर्मी से राहत भी दिलाएगा। ज्योतिषाचार्य ने बताया कि सूर्य रोहिणी नक्षत्र में 25 मई को प्रवेश करने के साथ ही इस नक्षत्र में 15 दिन रहेगा, लेकिन इस अवधि के प्रारंभिक नौ दिनों में अधिक गर्मी पड़ती है। इसे ही नौतपा के दिन कहते हैं। इसकी वजह यह है कि इस दौरान सूर्य की लंबवत किरणें सीधे धरती पर पड़ती है। इससे गर्मी में इजाफा होने लगता है।
ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया पर 25 मई को सूर्य कृतिका से रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेगा। सूर्य के साथ वर्तमान में शुक्र भी वृषभ राशि में है। सूर्य प्रारंभ के सात दिनों में खूब तपेगा, सूर्य के 15 दिन रोहिणी नक्षत्र में शुरू के नौ दिन तपन ज्यादा होगी। इसके प्रभाव से बचने के लिए लोगों को सूर्य आराधना करना बेहतर होगा। जल, दही, दूध, नारियल पानी तथा ठंडे पेय पदार्थों का सेवन करें। लेकिन बाद के दो दिन मौसम में अचानक परिवर्तन आने की संभावना है। इससे गर्मी में राहत मिल जाएगी।
क्या है नौतपा का विज्ञान डा. आर्य ने बताया कि सूर्य घूमते हुए मध्य भारत के ऊपर आ जाता है। जब यह कर्क रेखा के पास पहुंच जाता है तब यह 90 डिग्री की पाजिशन में होता है। इससे किरणें सीधे पृथ्वी पर पड़ती है। इसी कारण तापमान बढ़ जाता है। जबकि ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक यह ज्योतिष का विषय है।
मान्यता: नौतपा जितना तपे उतनी ही मानसून में ज्यादा बारिश लोक मान्यता है कि नौतपा के सभी दिन पूरे तपे, तो आगे के दिनों में अच्छी बारिश होती है। ज्योतिषाचार्य का कहना है कि चंद्रमा जब ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष में आद्र्रा से स्वाति नक्षत्र तक अपनी स्थितियों में हो और तीव्र गर्मी पड़े, तो वह नौतपा है। रोहिणी के दौरान बारिश हो जाती है तो इसे रोहिणी नक्षत्र का गलना भी कहा जाता है।
बारिश होने के अनुकूल योग
इस वर्ष संवत्सर के राजा बुध है और रोहिणी का निवास संधि में है। इससे वर्षा समयानुकूल होने के योग बनता है। यही कारण है कि कहीं ज्यादा तो कहीं कम बारिश हो सकती है। वैश्य के घर निवास होने से धान्य, दूध व पेय पदार्थों में तेजी रहेगी। फलस्वरूप जौ, गेहूं, राई, सरसों, चना, बाजरा, मूंग की पैदावार आशानुकूल होगी।