बूंदाबांदी ने बढ़ाई कनकनी
संवाद सूत्र मधेपुरा जिले में मौसम का रूख एक बार फिर से बदल गया है। लगातार तीन दिनों तक ि

संवाद सूत्र, मधेपुरा : जिले में मौसम का रूख एक बार फिर से बदल गया है। लगातार तीन दिनों तक निकली धूप के बाद शनिवार रात से ही मौसम का मिजाज बदलने लगा। आलम यह रहा कि रविवार सुबह से ही मौसम पूरी तरह से क्लाउडी हो गया। इस कारण हवा की स्पीड भी थोड़ी बढ़ गई, साथ ही आसमान में बादल छाने से शहरी इलाकों के साथ-साथ ग्रामीण हिस्सों में भी रुक-रुककर हल्की बूंदाबांदी होती रही। बूंदाबांदी के बीच चली हवा ने कनकनी बढ़ा दी। आसमान में बादल छाए रहने से धूप का दर्शन भी नहीं हो पाया। मौसम विज्ञान केंद्र, अगवानपुर, सहरसा के मौसम वैज्ञानिक अशोक कुमार पंडित की माने तो आज 13 एमएम बारिश का अनुमान है। बारिश के कारण अधिकतम तथा न्यूनतम तापमान में गिरावट दर्ज की जा सकती है। उन्होंने बताया कि बूंदाबांदी के कारण अधिकतम तापमान में 2.5 तथा न्यूनतम तापमान में दो डिग्री की गिरावट दर्ज की गई है। 26 जनवरी को अधिकतम तापमान 18 तथा न्यूनतम तापमान आठ डिग्री सेल्सियस रहने का अनुमान है। उन्होंने बताया कि इस दौरान सापेक्षिक आर्द्रता 80-50 प्रतिशत रहेगा। इस कारण कोहरा गिरने की संभावना नहीं होगी। बारिश के दौरान 17-18 किलोमीटर प्रतिघंटा की दर से हवा भी चल सकती है। तेज हवा के कारण कड़ाके की ठंड महसूस की जा सकती है।
मौसम विभाग के आंकड़े बताते हैं कि बारिश के कारण मौसम का पारा गिरने की संभावना है। इस कारण कंपकंपी महसूस होगी।
तारीख : बारिश : अधिकतम तापमान : न्यूनतम तापमान
24 जनवरी : 13 एमएम : 18 : 10 25 जनवरी : शून्य : 18 : 08 26 जनवरी : शून्य : 18 :08 27 जनवरी : शून्य : 21 :09 28 जनवरी : शून्य : 20 : 08
आलू व टमाटर की फसल पर करें छिड़काव
कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय विज्ञानी डा. मिथिलेश कुमार राय ने बताया कि लगातार ठंड के कारण आलू तथा टमाटर की फसल में ब्लाईट संक्रमण का खतरा बना रहता है। इससे बचने के लिए किसान कार्बोडाजिम 1.0 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। उन्होंने कहा कि फसल को बढ़ने व बालियों के लिए अभी आदर्श समय है। ठंड व कोहरे की नमी गेहूं की फसल को मजबूत बनने व बालियों को पुष्ट करने के लिए लाभकारी है। वहीं अरहर की फसल को भी इससे लाभ होगा। किसानों को सलाह दी जाती है कि वे संभावित बारिश को देखते हुए अभी रबी फसल का पटवन नहीं करें। डा. मिथिलेश ने बताया कि पाले के प्रभाव से फल मर जाते हैं व फूल झरने लगते हैं। प्रभावित फसल का हरा रंग समाप्त हो जाता है। पत्तियों का रंग मिट्टी जैसा हो जाता है। ऐसे में पौधों के पत्ते सड़ने से बैक्टेरिया जनित बीमारियों का प्रकोप बढ़ जाता है। पत्ती, फूल व फल सूख जाते हैं। कभी-कभी तो शत-प्रतिशत सब्जी भी नष्ट हो जाते हैं।
Edited By Jagran