कोरोना तरबूज के किसानों की मिठास में घोली कड़वाहट
मधेपुरा। प्रखंड की कुरसंडी पंचायत के बघवा दियारा व गणेशपुर दियारा में बड़े पैमाने पर त
मधेपुरा। प्रखंड की कुरसंडी पंचायत के बघवा दियारा व गणेशपुर दियारा में बड़े पैमाने पर तरबूज की खेती होती है। इन गांवों की तरबूज की मिठास क्षेत्र के अलावा अंग प्रदेश व बंगाल के कई मंडी तक पहुंचती थी, लेकिन दो वर्षों से कोरोना की मार ने किसानों को बेदम कर दिया है।
मालूम हो कि पिछले वर्ष भी जब खेतों में तरबूज की फसल तैयार हुई थी उसी दौरान लॉकडाउन लग गया था। इस कारण बाहर से तरबूज के खरीदार नहीं पहुंच सके थे। इससे किसानों को लाखों का नुकसान झेलना पड़ा था। इस वर्ष भी किसानों ने हिम्मत जुटाकर फिर से व्यापक पैमाने पर तरबूज की खेती की है, लेकिन फिर से लॉकडाउन लग जाने से तरबूज उत्पादक किसान पूरी तरह से बर्बादी के कगार पर पहुंच गए हैं।
वृहत पैमाने पर होती है खेती बघवा दियारा व गणेशपुर दियारा के बहियार में तरबूज की खेती बहुतायत मात्रा में की जाती है। वैसे किसान जिनके पास अपनी जमीन नहीं है वे अगल-बगल के भूस्वामी से लीज पर लेकर इसकी खेती करते हैं। यहां लगभग ढाई सौ से तीन सौ बीघे में तरबूज की खेती की जाती है। तरबूज उत्पादक किसान मु. दाऊद, मु.रईस, मु.हकीम, मु.फारूक, मु.इदरीश, मु.इबरान आदि ने बताया कि लॉकडाउन लगने के बाद व्यापारियों के नहीं आने से किसानों को आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ रहा है। आधा कीमत पर भी नहीं मिल रहे खरीदार मु. उस्मान, मु. किस्मत, मु. ईलियास, मु.आलम, मु. अजीम, मु .मुश्ताक, मु. अताबुल, मु. भोला, मु. रियाज, मु. इसराफिल आदि ने बताया कि पिछले साल हुए नुकसान की भरपाई की उम्मीद में इस बार कर्ज लेकर फिर से तरबूज की खेती की, लेकिन एक बार फिर से इस वर्ष भी लगाए गए लॉकडाउन ने किस्मत को दगा दे गई है। इस बार तरबूज उत्पादक किसानों की कोरोना ने रही-सही कसर पूरी कर दी। किसानों ने बताया कि फिलहाल फसल टूटने का शुरूआती दौर जारी है, लेकिन कोरोना के बढ़ते संक्रमण व लॉकडाउन के कारण एक हजार से 12 सौ रुपये प्रति क्विंटल की दर से बिकने वाले तरबूज छह सौ रुपया में भी नहीं बिक रहा है। किसानों की क्या है व्यथा तरबूज उत्पादक किसान बताते हैं कि इतने वृहत पैमाने पर तरबूज की खेती होने के बावजूद कृषि विभाग की ओर से किसानों के प्रोत्साहन के लिए आजतक कोई भी सार्थक प्रयास नहीं की गई है। इससे किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। अगर विभागीय स्तर से समय-समय पर किसानों को प्रोत्साहित किया जाए तो यह क्षेत्र सूबे में तरबूज उत्पादन का एक बड़ा हब बन सकता है।