सरकारी आदेश के बावजूद नहीं खुल सका गेहूं खरीद केंद्र
मधेपुरा। कोरोना संक्रमण की वजह से कृषि कार्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा हैं। गेहूं की क
मधेपुरा। कोरोना संक्रमण की वजह से कृषि कार्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा हैं। गेहूं की कटनी अंतिम चरण में चल रहा हैं। सरकारी स्तर पर 20 अप्रैल से 15 जुलाई तक पैक्स और व्यापार मंडल द्वारा गेहूं क्रय केन्द्र खोलने का निर्देश है। जिसमें गेहूं की निर्धारित दरें 1975 रुपये प्रति क्विंटल तय की गई हैं, लेकिन विभागीय प्रक्रिया पूर्ण नहीं हो पाने की स्थिति में प्रखंड के एक भी पंचायत में गेहूं खरीद केंद्र नहीं खुल सका हैं। इसका मुख्य कारण किसी भी पैक्स का सीसी प्रक्रिया पूर्ण नहीं हो सका है। हालांकि गेहूं अधिप्राप्ति को लेकर पैक्स का चयन कर लिया गया हैं। जो पैक्स जन वितरण प्रणाली दुकान संचालित कर रहें हैं। उसे भी गेहूं अधिप्राप्ति करना है। इसके लिए अलग से स्टाक पंजी संधारण करना अनिवार्य होगा। लेकिन संबंधित पदाधिकारी की उदासीनता और पैक्स अध्यक्ष के दिलचस्पी नहीं लेने की वजह से गेहूं खरीद केंद्र खुलने में ग्रहण लग गया हैं। जिस वजह से किसानों भी पैक्स का रूख नहीं कर रहे हैं।
150 क्विंटल गेहूं बिक्री कर सकेंगे रैयती किसान रैयती किसान को फोटो पहचान पत्र, मतदाता पहचान पत्र, पासबुक की छायाप्रति व अन्य लाइसेंस की छायाप्रति एवं गैर रैयत से फोटो, आधार कार्ड, अन्य मान्यता प्राप्त पहचान पत्र, बैंक पासबुक, किसान द्वारा प्रयुक्त भूमि का रकवा, क्षेत्रफल से संबंधित स्वयं का घोषणा पत्र पर आवेदन करना अनिवार्य है। किसान पैक्स के माध्यम से 150 क्विंटल तक गेहूं बिक्री कर सकता हैं। वहीं गैर रैयत किसान 50 क्विंटल गेहूं बिक्री कर सकता हैं। इसके लिए किसानों को किसान सलाहकार या संबधित वार्ड सदस्य की अनुशंसा लेना अनिवार्य होगा। खरीद प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए रिपोर्ट रियल टाईम पोर्टल पर अपलोड होगी। इसमें पैक्स और व्यापार मंडल अध्यक्ष मोबाइल ऐप से निबंधित किसानों की विवरणी प्राप्त करेंगे और उसके आधार पर किसानों की श्रेणी, खरीद की मात्रा एवं गैर रैयत श्रेणी के किसानों से स्व घोषणा पत्र का फोटो अपलोड करेंगे। कोट कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से परेशानी बनी हुई हैं। वहीं सरकारी आदेश के बावजूद गेहूं खरीद केंद्र नहीं खुल पाया हैं। जबकि गेहूं तैयार कर ली गई हैं। आवश्यकता के कारण अधिकांश गेहूं की बिक्री साहुकारों के हाथों 1550 से 1700 रुपये क्विंटल की दर से गेहूं बेचना पड़ा है। मोहन यादव, हथिऔंधा सरकारी स्तर पर धान हो या गेहूं की खरीद जान-बूझकर देरी से चालू की जाती है। जिस कारण किसानों को बिचौलिया व साहूकारों के पास कम कीमत में अनाज बेचना पड़ता हैं। इसकी बड़ी वजह है कि अगली खेती एवं कर्ज के भुगतान करने की चिन्ता बनीं रहती हैं। यहीं समयानुसार सरकारी स्तर पर खरीद केंद्र खुल जाए, तो फसल का उचित कीमत मिल जाएगा साथ हीं समस्या का हल हो जाएगा। -अखिलेश मेहता, लक्ष्मीपुर लालचंद महामारी काल में दिन- रात कड़ी मेहनत कर गेहूं की खेती करने के बावजूद कम कीमत में बेचना पड़ा हैं। जबकि सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य 1975 रुपये क्विंटल निर्धारित रहने के बावजूद आजतक खरीद शुरू नहीं हो चुकी हैं। वहीं मजबूरी में बाजार में 17 सौ रुपये प्रति क्विंटल की दर से चार दिन पूर्व गेहूं बेचना पड़ा हैं।
मुकेश कुमार मेहता, शेखपुरा
सरकारी स्तर पर गेहूं खरीद केंद्र खुल नहीं सका हैं, लेकिन बाजार से प्रत्येक दिन ट्रकों से दूसरे जिलें सहित अन्य प्रदेश गेहूं भेजा जा रहा है। सरकारी स्तर पर गेहूं बिक्री करने में कई तरह की परेशानी के बावजूद राशि मिलने में देरी होती हैं। जबकि साहूकारों के हाथों बिक्री करने पर थोड़ा कम रुपये तो मिलतें हैं, लेकिन हाथों हाथ रुपये मिलने से कई कार्य समय पर हो जाता हैं। मु. मुन्ना, हथिऔंधा गेहूं खरीद केंद्र जल्द खोलने के लिए प्रक्रिया पूरी कर ली गई हैं। मंगलवार और बुधवार को सरकारी छुट्टी रहने के कारण कागजी प्रक्रिया का कार्य पूर्ण नहीं हो पाने के कारण पैक्स का सीसी प्रक्रिया पूरी नही हो सका है। इस वर्ष वैसे पैक्स अध्यक्ष जो जनवितरण दुकानदार हैं। उसे भी गेहूं खरी करनी होगी। उसे स्टॉक पंजी अलग से संधारण करना होगा। -प्रभात कुमार, प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी, बिहारीगंज (मधेपुरा)