पेंटिग के माध्यम से पूजा ने बनाई अलग पहचान
मधेपुरा। विभिन्न कलाकृतियों को अमूर्त रूप देने वाली पूजा गुप्ता आज किसी पहचान की मोहताज नहीं
मधेपुरा। विभिन्न कलाकृतियों को अमूर्त रूप देने वाली पूजा गुप्ता आज किसी पहचान की मोहताज नहीं है। हर कला को सजीव रूप देने वाली पूजा के लिए मानो यह सब कुछ भगवान ने पहले ही तय कर दिया था। यही कारण है कि मूर्तिकला से लेकर किसी तरह की पेंटिग को सजीव रूप देने में कभी पीछे नहीं रहती है। अब तो पूजा की कला के मुरीद दूर-दूर के लोग हैं। जो अपने जीवन के सुनरहे यादों को तस्वीर के रूप में तैयार करवाने दूर-दूर से उसके यहां आते हैं। पूजा कहती है कि मुझे पेंटिग के प्रति रूचि जन्मजात है। पहले यूं ही कागजों पर ही पेंटिग बनाती थी अब बड़े-बड़े बैनर व पोस्टर बना रही हूं। वे कहती है कि वैसे पूरी तरह से में विगत पांच सालों से आर्ट के प्रति समर्पित हो चुकी हूं। वे कहती है कि जब भी लगता था कि में अब हार जाऊंगी तब मुझे कला ने साथ ही नहीं दिया बल्कि एक नया जीवन दिया। अब तक मेरे लिए पेंटिग ही मेरा जीवन साथी है। वह बताती हैं
कि जिस तरह अंधेरा को दूर करने के लिए एक मोमबत्ती ही काफी है। इसी तरह एक अधुरे इंसान के लिए कला ही संजीवनी है। यही प्रेरणा मुझे खुद अपने अंदर से एक अवाज बन के आयी और ये कला फिर जनूंन बन गया। वे कहती है कि 2020 में ऑनलाइन क्लास ली और उसके बाद पूरे लॉकडाउन मैंने विशेष रूप से अनुसंधान किया ताकि इसके मर्ज को समझ सकूं। वे कहती है कि मैं नियमित रूप से पेंटिग करती हूं। इसमें सब से बड़ा योगदान मेरे पापा प्रमोद गुप्ता व मम्मी गुड्डी देवी का है। उन्होंने मुझे हर कदम पर साथ दिए और आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। वे कहती है कि मेरा सपना है कि मैं अपनी कला को बहुत आगे ले जाऊं। वहीं इसके लिए सबको जागरुक करूं। वे कहती है कि सबका सहयोग मिला तो पेंटिग के माध्यम से में समाज में फैली कुरीति व अंधविश्वास के खिलाफ सोशल मीडिया के माध्यम से आंदोलन चलाउंगी। बेहतर पेटिग के लिए हाल ही में राष्ट्रीय एकता दिवस पर मंडल विवि के कुलपति द्वारा सम्मानित भी किया गया।