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आलू व गोभी की कीमत देख शीतलहर में भी किसानों का छूट रहा पसीना

मधेपुरा। फुलगोभी व बंदगोभी की लगातार गिरती कीमत से सब्जी उत्पादक किसान काफी परेशान हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Jan 2021 12:16 AM (IST)Updated: Thu, 21 Jan 2021 12:16 AM (IST)
आलू व गोभी की कीमत देख शीतलहर में भी किसानों का छूट रहा पसीना
आलू व गोभी की कीमत देख शीतलहर में भी किसानों का छूट रहा पसीना

मधेपुरा। फुलगोभी व बंदगोभी की लगातार गिरती कीमत से सब्जी उत्पादक किसान काफी परेशान हैं। आलू के गिरते बाजार भाव से आलू उत्पादक किसानों के हलक सूखाने लगा है। इन दिनों गोभी व आलू के कम भाव से आमलोगों को काफी राहत पहुंची है। क्या है खुदरा बाजार भाव

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कुछ दिन पूर्व स्थानीय बाजार में गोभी का खुदरा मूल्य 20 रुपये प्रति किलो था। इन दिनों बाजार में गोभी 20 रुपये में चार किलो बिकने लगा है। मूली का एक रुपये किलो की दर से भी खरीदार नहीं मिलने से किसानों ने मूली लगे खेतों की जुताई कर उसमें अन्य फसल लगाने की तैयारी में जुट गए हैं, जबकि 40 से 42 रुपये प्रतिकिलो बिकने वाला सदाबहार आलू फिलहाल खुदरा में 10 से 12 रुपये प्रतिकिलो बिकने लगा है। इसके बावजूद प्रत्येक दिन इसकी कीमतों में गिरावट जारी है।

गोभी व मूली की काफी कम कीमत रहने के बावजूद भी खरीदार नहीं रहने से कड़ाके की शीतलहर में किसानों के माथे पर पसीना है। स्थिति यह है कि गोभी उत्पादक किसान क्षेत्र के पशुपालकों के मवेशियों के चारे के रूप में काफी कम कीमत पर फुलगोभी व बंदगोभी बेचने को मजबूर हैं। क्या कहते हैं आलू उत्पादक किसान आलू उत्पादक बघवा दियारा निवासी किसान मु. रिजवान उद्दीन, मु. फारूक, मु. इदरीश, सुभाष चंद्र मेहता, अमरेंद्र कुमार सिंह, मु. गफ्फार, भटौनी के मु. शब्बीर, कहरटोली के अनोज मेहरा, पुरैनी के विवेक यादव, मुन्ना मेहता, दुहबी-सुहबी के मनोज यादव, गणेशपुर के जयकृष्ण मेहता, भोपाल मेहता, झंडापुर बासा के मनोज मेहता, शैलेन्द्र मेहता, बैकुंठ मेहता, अशोक मेहता, संजय मेहता, मु.अव्वास राही आदि ने बताया कि इस बार काफी महंगी कीमत पर अन्य प्रदेशों से आलू की बीज मंगाकर खेतों में रोपाई की गई है। इस वर्ष आलू के बीज छह हजार रुपए प्रति क्विंटल की दर से मंगाया गया है। इस स्थिति में प्रति बीघा 70 हजार रुपये से ज्यादा का लागत आया है। अभी प्रखंड क्षेत्र में आलू तैयार भी नहीं हुआ है और अभी से ही बाजार भाव छह से सात सौ रुपये क्विंटल हो गया है। अगर बाजार भाव और गिरा तो ऐसे में खेती में की गई कुल खर्च की बात तो दूर आलू के बीज तक का कीमत निकलना भी मुश्किल हो जाएगा।


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