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फिटनेस के नाम पर खानापूर्ति बन रही सड़क हादसों की वजह

मधेपुरा। सड़क हादसों का एक मुख्य कारण जर्जर होना व खटारा वाहनों का बेधड़क चलना भी ह

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Jan 2021 12:16 AM (IST)Updated: Thu, 21 Jan 2021 12:16 AM (IST)
फिटनेस के नाम पर खानापूर्ति बन रही सड़क हादसों की वजह
फिटनेस के नाम पर खानापूर्ति बन रही सड़क हादसों की वजह

मधेपुरा। सड़क हादसों का एक मुख्य कारण जर्जर होना व खटारा वाहनों का बेधड़क चलना भी है। सड़कों पर मानक के विपरीत दौड़ रहे वाहन भी हादसों की वजह बन रहे हैं। पुराने वाहनों को सड़क पर उतरने के पूर्व उन्हें फीट घोषित होना आवश्यक है। यात्री से लेकर मालवाहक वाहनों के फिटनेस की जांच-पड़ताल नहीं होना सड़क हादसों की मुख्य वजह बनती जा रही है।

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मालूम हो कि सड़कों पर दौड़ रहे व्यवसायिक वाहनों को नियमित फिटनेस सर्टिफिकेट लेने की आवश्यकता होती है। वाहनों के टैक्स व इंश्योरेंस संबंधी कागजात की पड़ताल के बाद फिट घोषित कर दिया जाता है। सड़क हादसे की आंकड़ों पर गौर करें तो वाहनों की जर्जर स्थिति भी हादसों का कारण बनती है। अगर अधिकांश मालवाहक व यात्री वाहनों की फिटनेस जांच सही मायने में की जाय तो अधिकांश वाहन सड़कों पर उतरने के लायक भी नहीं है। ऐसे वाहन प्रदूषण बढ़ने का भी कारण हैं। आमतौर पर वाहनों की फिटनेस की सत्यता की जांच वाहनों के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद ही पता लगाया जाता है। अगर विभाग इसके लिए संवेदनशील रहे तो दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सकता है। गंभीरता से हो जांच तो काफी वाहन होंगे अनफिट मोटर वाहन अधिनियम के तहत वाहनों के फिटनेस की जांच कर प्रमाण पत्र का वितरण किया जाना है। इस नियम के अनुसार जांच प्रमाण पत्र देने के पूर्व विभागीय पदाधिकारी को वाहन की सुरक्षा से जुड़े हर पहलू की जांच करनी है। परीक्षण में वाहन के स्पार्क प्लग से लेकर लाइट व हार्न की भी जांच की जानी है। साथ ही वाहनों की ब्रेक व स्टेयरिग की गहन जांच के पश्चात संतोषजनक पाए जाने के बाद ही प्रमाण पत्र दिया जाना है। नियम के अनुसार वाहन की टेस्ट ड्राइव भी की जानी है। लेकिन जमीन पर ये सारी बातें महज कागजी प्रक्रिया बनकर रह गई है। कोहरों के समय भी बिना रिफलेक्टर लाइड, फॉग लाइट, इंडीकेटर, बैक लाइट के दौड़ रहे वाहनों के कारण भी आए दिन एनएच, एसएच सहित अन्य मुख्य मार्गो पर लगातार दुर्घटनाएं हो रही है।

जुगाड़ व ट्राली भी बन रहे कारण हाल के दिनों में सड़कों पर जुगाड़ वाहनों की बाढ़ आ गई है। गांव की सड़कें हो या शहर का चौराहा या फिर राष्ट्रीय उच्च पथ जुगाड़ वाहनों की रफ्तार हर जगह तेज हो गई है। सड़कों पर जुगाड़ वाहन भी हादसों की वजह बन रहे हैं। प्रखंड क्षेत्र में जुगाड़ वाहन के कारण एक साल में आधा दर्जन से अधिक दुर्घटनाएं घटित हो चुकी है। जुगाड़ वाहन के रजिस्ट्रेशन आदि को लेकर अभी कोई नियम लागू नहीं है। जबकि कृषि कार्य के लिए गए ट्रैक्टर में ट्राली का प्रयोग व्यवसायिक कार्य के लिए धड़ल्ले से किया जा रहा है। ट्राली लगे ट्रैक्टर एवं जुगाड़ वाहन में ओवरलोडिग दुर्घटना का कारण बनता है।


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