आपराधिक वारदात से अधिक जानें जाती हैं सड़क हादसे में
मधेपुरा। लापरवाही से लगातार सड़क दुर्घटनाओं में इजाफा हो रहा है। सड़क दुर्घटना से
मधेपुरा। लापरवाही से लगातार सड़क दुर्घटनाओं में इजाफा हो रहा है। सड़क दुर्घटना से होने वाली मौत के आंकड़ा को देखें तो यह आपराधिक या नक्सली वारदात से होने वाली मौत से भी ज्यादा है। दुर्घटना के अधिकांश मामले लापरवाही के कारण होती है। तेज रफ्तार में हल्की सी चूक भी खतरनाक साबित हो जाती है। महज कुछ सेकंड कर भीतर होने वाले हादसे से हुई मौत उस परिवार को पूरी तरह तोड़ देती है। बाइक दुर्घटना के अधिकांश मामलों में देखा जाता है कि वे हेलमेट नहीं लगाते हैं। हेलमेट नहीं लगाने की स्थिति में बाइक दुर्घटना होने से मौत का जोखिम काफी कम रहता है। जानकर बताते है कि हेलमेट पहने रहने से दुर्घटना होने की स्थिति में भी उसके मौत के आसार तो न के बराबर रहता है।
कुछ सेकंड की लापरवाही लील लेती है जिदगी महज कुछ सेकंड की जल्दबाजी या गलती कई लोगों की जान ले लेती है। ड्राइवर की जल्दबाजी के कारण अधिकांश दुर्घटनाएं हो जाती है। सड़क चौड़ी नहीं रहने के बावजूद ओवरटेक करने की कोशिश अथवा काफी तेज रफ्तार से गाड़ी चलाना दुर्घटना का मुख्य कारण है। ओवरटेक के समय नियमों का अगर पालन किया जाए तो ऐसे दुर्घटनाओं से बची जा सकती है। तीखे मोड़ पर भी कई वाहन चालक ओवरटेक करने की कोशिश करते है। जो कई बार खतरनाक साबित हो चुकी है। ऐसे कई मामले देखे गए हैं। अभी शनिवार की रात को ही ऑटो को ओवरटेक कर आगे निकलने के चक्कर मे कुल तीन लोगों की मौत हो गई। ट्रैक्टर चालक की हल्की सी लापरवाही से उसकी खुद की जान भी गई। साथ ही दो और व्यक्ति की मौत हुई। जबकि तीन बच्चियां घायल हो गई। रात के समय एक ही दिशा से जा रही ऑटो को ओवरटेक करने की कोशिश ट्रैक्टर के चालक ने की। जबकि वहां सड़क उतनी चौड़ी नहीं थी। न ही ट्रैक्टर की लाइट सही थी। बावजूद इसके ट्रैक्टर ड्राइवर मु. रिजवान ने ऑटो को ओवरटेक करने का निर्णय लिया। इसी क्रम में ट्रैक्टर के डाले में ऑटो फंस गई। ट्रैक्टर के साथ ऑटो भी सड़क के बगल में बने बड़े गड्ढे में पलट गई। इसमे ट्रैक्टर चालक की जहां मौके पर ही मौत हो गई। वहीं ऑटो पर सवार अमिता देवी व विकास कुमार मल्लिक की मौत हो गई। दुर्घटना से देर भली दुर्घटना से देर भली को लोग मानने लगे तो दुर्घटना की रफ्तार घट सकती है। लेकिन सड़क पर बाइक की रफ्तार व लहरिया कट देखकर समझा जा सकता है लोग अपने और सड़क पर चल रहे लोगों के जिदगी के प्रति कितने लापरवाह हैं। रफ्तार का कहर तत्काल तो सिर्फ सामने वाली व्यक्ति के मौत के रूप में नजर आती है। लेकिन उस दुर्घटना में जिन्होंने अपनों को खोया होता है उन्हें जिदगी पर यह दर्द सालते रहता है। दुर्घटना में कभी किसी के सर से माता या पिता का साया उठ जाता है। दुर्घटना की मौत जिदगी भर का गम देकर जाती है।