शिक्षा के प्रति लोगों को जागरूक कर रहे मानकेश्वर
मधेपुरा। मानकेश्वर गांव व समाज के बच्चों को शिक्षित करने की बीड़ा उठा रखा है। इसके लिए
मधेपुरा। मानकेश्वर गांव व समाज के बच्चों को शिक्षित करने की बीड़ा उठा रखा है। इसके लिए वह आसपास के क्षेत्रों में मुहिम चला रखा है। वह न केवल बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं। बल्कि लोगों को शिक्षा के अधिकार के लिए जागरूक भी कर रहे हैं। शिक्षा के अधिकार के लिए किए जा रहे कार्य की चर्चा इलाके में हो रही है। लोग उनके प्रयास की सराहना कर रहे हैं। उदाकिशुनगंज प्रखंड क्षेत्र की जौतेली पंचायत के रामडेहरू निवासी मानकेश्वर महाराज भट्ट शिक्षक के रूप में बच्चों को पढ़ा रहे हैं। वह छात्रों और युवाओं को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के बारे में भी बताते हैं। विभिन्न प्रकार की परीक्षाओं के बारे में छात्रों को मुफ्त में टिप्स भी दिया करते हैं। शिक्षा के अधिकार मुहिम में काफी लोगों व छात्रों को शामिल कर चुके हैं। साहित्यिक क्षेत्र में वह कई संस्थान से पुरस्कृत भी हो चुके हैं।
उन्होंने शिक्षा के अधिकार के तहत बाल श्रम व अन्य विषयों पर आलेख भी लिखा। बाल श्रमिकों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने का काम कर रहे हैं। वह छह से 14 वर्ष तक बच्चों के लिए सरकार के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा नीति के बारे में लोगों को जागरूक कर रहे हैं। वह निजी तौर पर शिक्षक के रूप में काम करते हैं। उनका कहना है कि शिक्षा समाज के लिए बड़ा जरूरी है। इसके लिए जागरूक होकर लोगों को अधिकार के बारे में जानना होगा। इसके लिए वह पिछले तीन वर्षों से गांव में मुहिम चला रहे हैं। उसके मुहिम का असर अब धरातल पर दिखने लगा है। मुहिम का प्रतिफल है कि लोग अपने बच्चों को नियमित रूप से स्कूल भेज रहे हैं।
उदाकिशुनगंज के रामपुर डेहरू के युवा साहित्यकार निजी शिक्षक मनकेश्वर महाराज भट्ट लेखनी के क्षेत्र में पुरस्कृत हो चुके हैं। वह साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली की ओर से श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान 2019, उदयपुर राजस्थान की ओर से मधुशाला गौरव सम्मान 2019, मधुशाला काव्य गौरव सम्मान 2019 एवं साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली की ओर से समीक्षाधीश सम्मान 2019 से सम्मानित हो चुके हैं। उन्हें कविता, कहानी, लेख, आलेख आदि रचनाओं के लिए सम्मानित किया गया है। उनकी रचनांए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित होती रहती है। उनके द्वारा लिखित कविता का चयन नर्मदा प्रकाशन वर्ष 2020 के जनवरी के साहित्य धारा पुस्तक के लिए चुनी गई है। मानकेश्वर का कहना है कि उनका मुहिम जारी है। वह शिक्षा के लिए आजीवन काम करते रहेंगे।