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बाढ़ पीड़ितों को अब भी है पुनर्वास की आस

मधेपुरा। कुसहा त्रासदी एक दशक से अधिक समय बीत जाने के बावजूद अब भी प्रभावित हुए दर्जनों लोगो

By JagranEdited By: Published: Mon, 13 Jan 2020 02:20 AM (IST)Updated: Mon, 13 Jan 2020 02:20 AM (IST)
बाढ़ पीड़ितों को अब भी है पुनर्वास की आस
बाढ़ पीड़ितों को अब भी है पुनर्वास की आस

मधेपुरा। कुसहा त्रासदी एक दशक से अधिक समय बीत जाने के बावजूद अब भी प्रभावित हुए दर्जनों लोगों को अपना आशियाना नहीं मिल पाया है। घर से बेघर हुए लोग पुनर्वास के इंतजार में अभी नहर किनारे रहने को विवश है। यह स्थिति है जिले के बिहारीगंज प्रखंड मुख्यालय स्थित विशनपुर वार्ड 18 के डेढ़ दर्जन से अधिक परिवार का। यहां लोगों को आज तक सरकारी मदद नहीं मिलन सकी। पीड़ित जागेश्वर मुखिया, लाल बिहारी मुखिया, सोनेलाल शर्मा, देवकी देवी, ममता देवी एवं अन्य का कहना है कि कोसी के प्रलयकारी बाढ़ में नहर टूटने से हमलोगों का जमीन पर गहरा कटाव हो गया था। जिससे घर और सभी समान नष्ट हो गया था। हमलोगों को सरकार से आशा थी, कि पुनर्वास मिलने पर अपना घर बसाएंगे। लेकिन किसी तरह का मुआवजा नहीं मिलने की वजह से घर बनाने का सपना अधूरा होता दिख रहा है।

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नहीं मिली मदद नहर किनारे रहने को हैं विवश : बिहारीगंज प्रखंड मुख्यालय स्थित विशनपुर वार्ड 18 के डेढ़ दर्जन से अधिक परिवार का घर 18 अगस्त 2008 के कोसी त्रादसी में कटाव की वजह ध्वस्त हो गया था। जिसे विभागीय स्तर पर किसी तरह का मुआवजा नहीं मिलने के कारण आज भी नहर के किनारे घर बनाकर रहने को विवश है। सभी पीड़ित परिवार आज भी पुनर्वास की आस में टकटकी लगाए हुए है। लेकिन सरकारी स्तर पर पुनर्वास योजना की फाइल लगभग बंद कर दी गई है। ऐसे में नहर किनारे रहने वाला परिवार त्रासदी के बाद से आज तक बेघर बना हुआ है।

प्रशासनिक फाइलों में दबा रहा कागज नहीं मिला पुनर्वास पीड़ित परिजनों ने जिला प्रशासन से लेकर आपदा प्रबंधन तक न्याय की गुहार लगाई, लेकिन कहीं से कोई न्याय नहीं मिल सका है। हालांकि पीड़ितों के आवेदन पर प्रशासन का कागज दौड़ता रहा, लेकिन दस वर्ष बाद भी न्याय नहीं मिलने की वजह से नहर के बांध पर आशियाना बनाकर डेरा जमाए हुए है। बाढ़ में बेघर हुए लोगों का कहना है कि संबधित पदाधिकारी को आवेदन देकर थक हार चुके है। अब अपने बच्चों की चिता सता रहीं है। जिला प्रशासन की ओर से ज्ञापांक 632/ दिनांक 06 दिसंबर 2008 के आधार पर प्रखंड विकास पदाधिकारी बिहारीगंज को प्रलयकारी बाढ़ के कारण जमीन और मकान नदी में विलीन हो जाने के फलस्वरूप पुर्नवासित करने का निर्देश दिया था। लेकिन जिला प्रशासन के आदेश के बावजूद एक दर्जन से अधिक लोगों को सरकारी मदद नहीं मिल सकी। कोट बिहार सरकार ने बिहार आपदा पुनर्वास व पुनर्निर्माण सोसाइटी के नाम से एक संस्था बनायी थी। जिसे आपदा प्रबंधन के निर्देशानुसार एक साल पूर्व बंद कर दिया गया। इस कार्य में जुड़े कर्मियों को भी प्रखंड से हटा दिया गया। बिहारीगंज मुख्यालय के विशनपुर में जागेश्वर मुखिया सहित 18 पीड़ितों को पुर्नवास नहीं मिल पाने के बारे में पूरी जानकारी नहीं है। जबकि एमबीएल सूची के आधार पर पीड़ितों को पुर्नवास का लाभ दिया जा चुका है। -दीना मुर्मू, बीडीओ, बिहारीगंज, मधेपुरा


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