धर्म और सत्य को आत्मसात करना ही सच्ची भक्ति
संवाद सूत्र,शंकरपुर(मधेपुरा): दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के तत्वावधान में पांच दिवसीय श्रीरामचरि
संवाद सूत्र,शंकरपुर(मधेपुरा): दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के तत्वावधान में पांच दिवसीय श्रीरामचरितमानस एवं गीता ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया गया। यज्ञ का विधिवत उद्घाटन स्वामी श्री यादवेंद्रानंद एवं पूर्व मुखिया बिष्णुदेव यादव एवं समाजसेवी रामचन्द्र यादव ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर किया। सदगुरु आशुतोष महाराज के शिष्य स्वामी यादवेंद्रानंद महाराज ने कहा कि राम का चरित्र मानस के हृदय में कैसे उतरे और मोह व अवसादग्रस्त अर्जुन जैसे शिष्य कौन सी विद्या के द्वारा अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर समाज को दुराचार व भ्रष्टाचार से मुक्त करवा पाता है। यही संदेश महापुरुषों की ज्ञान में होता है। साध्वी जी ने कहा मानव जो परमात्मा का सर्वोच्च कलाकृति है। तुलसी जी ने कहा है कि बड़े भाग्य मानुष तन पावा क्या आज समाज में कहीं से भी मानव सर्वोच्च नजर आ रहा है। मानव अपनी वास्तविकता से बहुत दूर हो गया है। भौतिक सुख की प्राप्ति के लिए यह सर्वोच्च कलाकृति सब कुछ करने के लिए तैयार है लेकिन लिप्सा प्राप्ति के बाद भी अशांत व दुखी ही नजर आता है। क्योंकि सिर्फ भौतिक साधनों में वास्तविक सुख नहीं है महापुरुषों ने इसे मृग मरीचिका यानी रेगिस्तान की रेत पर जब सूरज की किरणें, एक प्यासे को पानी का आभास करा अपने पीछे भागने पर मजबूर कर देती हैं। तुलसीदास जी ने कहा कि साधन धाम मोक्ष कर द्वार यानी मानव का लक्ष्य मोक्ष प्राप्ति यानी अपने मूल में मिल जाना। तभी वास्तविक सुख की प्राप्ति संभव है। जिस प्रकार मछली जल रूपी आधार से विलग होकर सांसारिक सारे साधनों में शांति का अनुभव नहीं करती। ठीक उसी प्रकार मनुष्य का आधार भी परमात्मा है जो साध्य है, और साध्य के बिना सांसारिक साधनों में वास्तविक शांति का एहसास नहीं हो सकता। इसलिए साध्वी जी ने प्रत्येक मनुष्य को ईश्वर को प्राप्त करने का आह्वान किया। ईश्वर प्राप्ति ही मनुष्य का वास्तविक कर्म है। अन्यथा शास्त्रों ने तो आहार, निद्रा, भय, मिथुन आदि क्रियाओं को करने वाले मनुष्य को पशु की श्रेणी में ही रखा है। यज्ञ को सफल बनाने में विनोद यादव, राजद अध्यक्ष किशोर कुमार, पूर्व मुखिया विष्णुदेव यादव,नीरज निराला, राजेश कुमार, संजय कुमार सहित सभी ग्रामीण का भूमिका सराहनीय रही।