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काला गेहू के पौधे का अंकुरण देख किसान गदगद

बिना विभागीय प्रोत्साहन व देखरेख के प्रखंड क्षेत्र के नरदह पंचायत के नया टोला निवासी किसान काला गेहूं की खेती कर रहे हैं। गेहूं के पौधों में अंकुरण देख किसान गदगद हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Jan 2021 11:34 PM (IST)Updated: Mon, 18 Jan 2021 11:34 PM (IST)
काला गेहू के पौधे का अंकुरण देख किसान गदगद
काला गेहू के पौधे का अंकुरण देख किसान गदगद

मधेपुरा। बिना विभागीय प्रोत्साहन व देखरेख के प्रखंड क्षेत्र के नरदह पंचायत के नया टोला निवासी किसान काला गेहूं की खेती कर रहे हैं। गेहूं के पौधों में अंकुरण देख किसान गदगद हैं।

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मालूम हो कि पंचायत के नया टोला निवासी किसान दिलीप कुमार ने इस बार पहली बार एक बीघे में काला गेहूं की खेती की है। किसानों के उक्त प्रयास को प्रोत्साहित करने के लिए अभी तक विभागीय पदाधिकारी व कर्मी अंजान बने बैठे हैं, जबकि किसान खेत में लगे काला गेहूं के पौधे का अंकुरण व आकार देखकर गदगद हैं। उन्हें सामान्य गेहूं की अपेक्षा इस गेहूं की अच्छी पैदावार होने की संभावना प्रतीत हो रही है।

गौरतलब हो कि सामान्य गेहूं की अपेक्षा इस गेहूं एंथ्रोसाइनिन पिगमेंट की मात्रा अधिक होने की वजह से इसका रंग काला व बैंगनी होता है। काला गेहूं के आटे का रंग सामान्य गेहूं के आटे से भिन्न होता है, लेकिन यह स्वास्थ्य के लिए बेहद पौष्टिक होता है। काला गेहूं के आटे से बनी रोटी का सेवन मनुष्य के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। साथ ही विभिन्न प्रकार की बीमारियों में रामबाण की तरह कार्य करता है।

कृषि विज्ञानियों की मानें तो साधारण गेहूं में एंथ्रोसाइनीन की मात्रा पांच से 15 पीपीएम होती है। जबकि काला गेहूं में इसकी मात्रा 40 से 140 पीपीएम होती है। एंथ्रोसाइनीन एक नेचुरल एंटी ऑक्सीडेंट व एंटीबायोटिक है। जो हर्ट अटैक, कैंसर, मधुमेह, मानसिक तनाव, घुटनों का दर्द एनीमिया जैसे रोगों में काफी कारगर सिद्ध होता है। किसान दिलीप कुमार उर्फ लक्ष्मी चौधरी ने बताया कि उनका पुत्र एक कार्यक्रम के दौरान सहरसा जिला स्थित अपने मित्र के घर गया था। जहां उसने काला गेहूं के बीज को देखा। पूछने पर उन लोगों ने उक्त गेहूं के बाबत इसकी विस्तारपूर्वक जानकारी दी तो उन्होंने भी अपने मित्र से बीज उपलब्ध कराने की इच्छा जाहिर की। तत्पश्चात उसके मित्र ने 150 रुपए प्रति किलो की दर से अपने रिश्तेदार सुल्तानगंज के एक किसान से उन्हें 40 किलो बीच उपलब्ध कराया। बाद में नया टोला निवासी किसान ने अपने एक बीघे में उक्त बीज की बुआई 23 दिसंबर को अपने खेतों में की। किसान दिलीप कुमार ने बताया कि काला गेहूं की खेती की जानकारी मिलते ही बाबा रामदेव के पतंजलि से जुड़े मार्केटिग विभाग के एक अधिकारी ने तैयार काला गेहूं की फसल को 60 रुपए प्रति किलो की दर से खरीदने की पेशकश की है। इस बाबत प्रखंड कृषि पदाधिकारी सुभाष प्रसाद सिंह से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि उक्त खेती के बारे में जानकारी मिली है। लेकिन फिलहाल वे छुट्टी में बाहर हैं। प्रखंड कार्यालय आते ही कृषि विशेषज्ञों के साथ उक्त किसान से मिलकर खेतों का निरीक्षण कर उचित मार्गदर्शन किया जाएगा।


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