कालेज में सत्र 19 से संबंधन नहीं मिलने पर रूका नामांकन, विवि मौन
संवाद सूत्र सिंहेश्वर (मधेपुरा) बीएनएमयू अंतर्गत एक मात्र अंगीभूत आरएमएम ला कालेज सहरसा क
संवाद सूत्र, सिंहेश्वर (मधेपुरा) : बीएनएमयू अंतर्गत एक मात्र अंगीभूत आरएमएम ला कालेज सहरसा की मान्यता रद होने पर विभिन्न संगठनों ने कड़ा रूख अख्तियार कर लिया है। खास कर सभी संगठन एक मंच पर आ कर कालेज की मान्यता को बहाल करने की मांग उठाई है। कालेज का बीसीआइ द्वारा संबंधन वापस लिए जाने पर सोमवार को नव निर्माण मंच के संस्थापक सह पूर्व विधायक किशोर कुमार, एनएसयूआइ के राष्ट्रीय संयोजक मनीष कुमार, सिडिकेट सदस्य रामनरेश सिंह, कर्मचारी नेता त्रिभुवन सिंह सहित अन्य ने बीएनएमयू के कुलपति डा. आरकेपी रमण से मुलाकात कर जल्द समस्या समाधान की मांग की। साथ ही एक ज्ञापन सौंपकर कालेज की विभिन्न समस्याओं पर ध्यान आकृष्ट कराया। ज्ञापन में कहा गया है कि विश्वविद्यालय द्वारा समय पर संज्ञान नहीं लेने या अपेक्षित अग्रेतर कार्यवाई नहीं करने के कारण बीसीआइ, नई दिल्ली से इस कालेज को शैक्षणिक सत्र 2019-20 से संबंधन नहीं मिला है। न्यायादेश के तहत नामांकन पर रोक है। इस बीच विवि प्रशासन सोई रही। फलस्वरूप कोशी क्षेत्र के छात्र-छात्राओं को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। प्रमंडलीय मुख्यालय में अवस्थित बीएनएमयू का एक मात्र अंगीभूत विधि महाविद्यालय आरएमएम ला कालेज, सहरसा द्वारा समयानुसार निरीक्षण शुल्क जमा नहीं करने, कालेज में बीसीआइ के मानक के अनुरूप विधि शिक्षक, पूर्ण कालीन प्रधानाचार्य नहीं रहने एवं भौतिक संरचना का अभाव के कारण शैक्षणिक सत्र 2019-20 से इस कालेज को संबंधन नहीं है। साथ ही पटना उच्च न्यायालय द्वारा इस कालेज में नामांकन पर रोक लगा दिया गया है, जबकि राज्य के अन्य 17 लॉ कॉलेज में नामांकन का आदेश प्राप्त है। कालेज के स्वीकृत पदों पर अब तक नहीं हुई बहाली
पत्र में कहा गया है कि आरएमएम ला कालेज सहरसा में एक पूर्णकालीन प्रधानाचार्य का पद, 10 अंशकालीन व्याख्याता का पद व प्रधान सहायक, लेखापाल, पुस्तकाध्यक्ष तथा टाईपिस्ट का एक-एक पद साथ ही आदेशपाल व रात्रि प्रहरी का दो-दो पद स्वीकृत है। कितु स्थापना काल से आज तक ना तो पूर्णकालीन प्रधानाचार्य की नियुक्ति की गई और न ही बीसीआइ के मानक अनुरूप एलएलएम डिग्री धारी योग्य विधि शिक्षकों को नियुक्ति किया गया। उन्हें वर्ष 2001 से अध्यापन कार्य की अनुमति देकर अंशकालीन व्याख्याता की खानापूर्ति की गई। आज की तारीख में एक नियमित या अस्थाई रात्रि प्रहरी को छोड़कर एक भी तृतीय या चतुर्थ वर्ग में नियमित या स्थाई कर्मचारी नहीं है। वर्ष 2008 एवं 2016 से दैनिक पारिश्रमिक पर एक-एक तृतीय वर्गीय कर्मी कार्य कर रहा है तथा एक अन्य कालेज से प्रतिनियोजित है जो हास्यास्पद है व विधि सम्मत नहीं है। कालेज में भौतिक संसाधन एवं मानव संसाधन का पूर्णत: अभाव है। जब तक इसकी भरपाई नहीं होती है तब तक न तो इसे संबंधन मिलेगा, न ही नामांकन की अनुमति मिलेगी और ना ही कालेज का उत्तरोत्तर विकास संभव है। उन्होंने मांग किया कि आरएमएम ला कालेज सहरसा में बार काउंसिल आफ इंडिया से संबंधन प्राप्त करने एवं माननीय उच्च न्यायालय द्वारा नामांकन पर लगाए गए रोक को वापस कराने के लिए अग्रेतर अपेक्षित कार्रवाई की जाए। कुलपति डा. आरकेपी रमण ने सभी बातों को गंभीरता से लिया और तत्क्षण संबंधित अधिकारियों को बुलाकर सभी समस्याओं के समाधान के लिए प्रयास करने का निर्देश दिया। मौके पर दीपक कुमार, अनिल कुमार, सुजीत सांन्याल, धीरेंद्र कुमार आदि मौजूद थे।