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स्थापना के 37 साल, फिर भी अनुमंडल का बुरा हाल

मधेपुरा। उदाकिशुनगंज अनुमंडल स्थापना के 37 साल बाद भी विकास के मामले में उपेक्षित है। उदाि

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 May 2020 11:45 PM (IST)Updated: Wed, 20 May 2020 11:45 PM (IST)
स्थापना के 37 साल, फिर भी अनुमंडल का बुरा हाल
स्थापना के 37 साल, फिर भी अनुमंडल का बुरा हाल

मधेपुरा। उदाकिशुनगंज अनुमंडल स्थापना के 37 साल बाद भी विकास के मामले में उपेक्षित है। उदाकिशुनगंज को 21 मई 1983 को अनुमंडल का दर्जा मिला था, लेकिन अब तक अनुमंडल का पूर्ण दर्जा का मामला भी लटका हुआ है। इस वजह से अनुमंडल का समुचित विकास नहीं हो पाया है। राजनीतिक और आíथक कारणों से क्षेत्र पिछड़ा हुआ है।

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मुख्यालय को सुंदर बनाने का काम पूरा नहीं हो पाया है, जबकि हर सरकार में क्षेत्र से विधायक मंत्री रहे। स्थापना दिवस भी लोग भूलते रहे। यद्यपि पिछले तीन साल से कुछ मामलों में विकास हुआ है वह नाकाफी है। वहीं कई क्षेत्र विकास से अभी भी अछूता ही है। काफी पुराना है अनुमंडल का इतिहास गजट के मुताबिक 1863 ई. में उदाकिशुनगंज अनुमंडल बना। कभी भागलपुर जिले का हिस्सा होने वाले उदाकिशुनगंज अनुमंडल में अंग्रेजी हुकूमत के समय कोर्ट चला करता था। कहा जाता है कि एक बार भीषण बाढ़ की वजह से अनुमंडल उठकर सुपौल चला गया। जब नौ मई 1981 को मधेपुरा जिला बना तो 21 मई 1983 ई. को उदाकिशुनगंज अनुमंडल बना। 106 साल पुराना है थाना उदाकिशुनगंज का थाना 106 साल पुराना है। वर्ष 1914 में उदाकिशुनगंज में थाना स्थापित हुआ। उस वक्त अंग्रेजी हुकूमत थी। अंग्रेजी हुकूमत के समय का बना थाना भवन आज भी धरोहर के रूप में खड़ा है। नामकरण के पीछे का रहस्य उदाकिशनगंज नामकरण को लेकर तरह-तरह के किस्से बताए जा रहे हैं। यद्यपि कहा जाता है कि किशुनगंज में बाढ़ आने के बाद थाना उठकर उदा चला गया। जब बाढ़ खत्म हुई तो उदा के लोगों ने थाना वापस किशुनगंज आने देने का विरोध जताया। तब व्यवहारिक तौर पर तय हुआ कि किशुनगंज से पहले उदा का नाम जुड़ा रहेगा। उपेक्षित है धाíमक स्थल धाíमक रूप से भी क्षेत्र प्रचलित रहा है। उदाकिशुनगंज के नयानगर का भगवती मंदिर, आलमनगर का मां डाकनी स्थान, चौसा के बाबा बिशु राउत मंदिर, ग्वालपाडा के मझुआ गांव का 20वीं सदी के महान संत परम हंस मर्हिष मेंहीं दास महाराज की जन्म स्थली सदियों से उपेक्षित है। स्थलों पर रोज बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है। आस्थावस दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं। स्थलों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की जरूरत है।

नहीं लगे उद्योग-धंधे अनुमंडल क्षेत्र में चीनी मिल, फूड पार्क, इंडस्ट्रियल ग्रोथ सेंटर, मक्का आधारित उद्योग लगाने का मामला ठंडे बस्ते में चला गया। जबकि उद्योग लगने से क्षेत्र के लोग समृद्ध होते। यातायात सुविधा का अभाव कई जिलों की सीमाओं से घिरा कोशी कछार पर बसा उदाकिशुनगंज अनुमंडल यातायात के मामले में काफी पिछड़ा हुआ है। क्षेत्र में रेल यातायात की सुविधा नहीं है। सड़क यातायात पूर्ण रूप से विकसित नहीं है। 19 साल बाद भी एनएच 106 नहीं बन पाया। सफर के लिए सरकारी बस की सुविधा नहीं है। यातायात के अभाव में किसान व्यापारी का विकास रुका हुआ है।

विकास की पटरी पर दम तोड़ रही योजना कुछ मामले में विकास हुए तो कुछ मामले में अभी अनुमंडल पीछे पड़ा हुआ है। मुख्यालय के अनुमंडल कार्यालय के समीप बहुउद्देशीय भवन में कोषागार कार्यालय तो पावर सब स्टेशन के समीप ट्रांसफॉर्मर मरम्मत कारखाना चालू हुआ। कोषागार और ट्रांसफार्मर मरम्मत खाना के चालू होने से विकास की एक कड़ी जुड़ी। इससे सरकारी कर्मियों और आम लोगों को फायदा होगा वेतन पेंशन चालान जमा करने में का काम होना है। क्षेत्र के लोगों को मधेपुरा का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। कोषागर की स्थापना लंबे समय से चली आ रही थी, जबकि 2013 ई. में सेवा यात्रा के दौरान उदाकिशुनगंज पहुंचे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ट्रांसफॉर्मर खोले जाने की घोषणा की थी। वर्ष 20 14 में सिविल कोर्ट और जेल बनने के बाद ही विकास बढ़ा। अनुमंडल को अपना बस पड़ाव तक नहीं मुख्यालय में बस पड़ाव भी नहीं है। इस वजह से सड़क पर ही वाहन खड़े कर यात्री को ढोया जाता है। अनुमंडल क्षेत्र में रेल यातायात की सुविधा नहीं सड़क यातायात विकास के मायने में अहम होगा। यूं कहें कि लोगों की उम्मीदें अभी बाकी है । अभी अनुमंडल स्थापना के बाद अपेक्षित विकास में अभी कमी है। लोगों की मांग पूरा नहीं हो पा रहा है। अनुमंडल स्थापना के समय से विकास को लेकर उम्मीद जगी। उस समय से आंशिक काम पूरे हुए। विकास की लंबी छलांग लगाने के लिए जनप्रतिनिधियों को आगे आना होगा। विकास की गति धीमी रहने की वजह भी जनप्रतिनिधि की उदासीन रवैया माना जा रहा है।

उदाकिशुनगंज अनुमंडल

एक नजर

अनुमंडल - एक

प्रखंड - छह

पंचायत- 76

आबादी - सात लाख

शिक्षित - 42 प्रतिशत


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