दियारा में होगा दंगल, अब पंचायत चुनाव का फाइनल मुकाबला
पिपरिया प्रखंड की सभी पंचायत संवेदनशील राजनीतिक दिग्गजों और बाहुबलियों का बना है चुनावी अख
पिपरिया प्रखंड की सभी पंचायत संवेदनशील, राजनीतिक दिग्गजों और बाहुबलियों का बना है चुनावी अखाड़ा, वर्ष 2016 के चुनाव में हुई थी काफी धांधली
लखीसराय जेल से भी जुड़ा है दियारा की राजनीति का तार, जिला परिषद निर्वाचन क्षेत्र संख्या दो से निवर्तमान जिप अध्यक्ष सहित 10 दिग्गज मैदान में
संवाद सहयोगी, लखीसराय : जिले में नौ चरण के पंचायत चुनाव की प्रक्रिया समाप्त हो गई है। अंतिम और 10वें चरण का चुनाव पिपरिया प्रखंड में होगा। इस प्रखंड अंतर्गत मात्र पांच पंचायत है। इसमें दियारा क्षेत्र की वलीपुर, मोहनपुर, पिपरिया और रामचंद्रपुर पंचायत काफी संवेदनशील इलाका है। एक पंचायत सैदपुरा का कुछ गांव लखीसराय-सूर्यगढ़ा एनएच 80 से जुड़ा हुआ है। इस प्रखंड से कुल 443 अभ्यर्थी चुनाव लड़ रहे हैं। इसमें मुख्य रूप से जिला परिषद निर्वाचन क्षेत्र संख्या दो के सदस्य सह निवर्तमान जिला परिषद अध्यक्ष रामशंकर शर्मा एवं पूर्व प्रखंड प्रमुख रविरंजन कुमार उर्फ टनटन सहित कुल 10 दिग्गज मैदान में है। दियारा की राजनीति का तार लखीसराय जेल से भी जुड़ा हुआ है। बताया जाता है कि जेल में बंद दियारा के एक बड़े बाहुबली से जुड़े कई उनके चहेते चुनाव लड़ रहे हैं। खासकर जिला परिषद का चुनाव काफी घमासान मचा हुआ है। पूर्व के पंचायत चुनाव में यह प्रखंड काफी चर्चा में रहा था। मतदान के दिन काफी धांधली हुई थी जिसको लेकर आधा दर्जन मतदान केंद्रों पर पुनर्मतदान हुआ था। इस बार भी पंचायत चुनाव में दियारा के कई बाहुबलियों ने अपनी पत्नी को चुनाव मैदान में उतारा है। कई राजनीतिक दिग्गज जिला परिषद का चुनाव लड़ रहे हैं। इसलिए भी इस बार का चुनाव का फाइनल मुकाबला काफी रोचक और राजनीतिक बदलाव लाने वाला हो सकता है। जिला प्रशासन पूरे पिपरिया प्रखंड को संवेदनशील मानते हुए स्वच्छ एवं निष्पक्ष मतदान कराने की तैयारी में जुटा हुआ है। बड़हिया प्रखंड क्षेत्र में जिस तरह जिला परिषद क्षेत्र संख्या एक के लिए और कतिपय पंचायतों में जिस तरह धनबल और बाहुबल का जमकर प्रयोग करने के बाद मतदाताओं ने पूरी सत्ता बदल दी। इस परिणाम से पिपरिया प्रखंड क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे बाहुबलियों और राजनीतिक दिग्गजों की बेचैनी बढ़ा दी है। दियारा क्षेत्र में बदलाव हो जाए तो कोई आश्चर्य नहीं होगा क्योंकि पंचायत चुनाव में ईवीएम के प्रयोग और पुलिस प्रशासन की कड़ी व्यवस्था से मतदाताओं में जागरूकता बढ़ी और भयमुक्त होकर मतदान कर सत्ता परिवर्तन के गवाह बन रहे हैं।