किसानों पर मौसम की मार, फसलें हो रहीं बीमार
धान पकने के समय में हुई बारिश ने जहां धान की फसल को बर्बाद करके रख दिया। वहीं रबी फसल की बोआई भी पीछे हो गई।

संवाद सूत्र, चानन (लखीसराय) : धान पकने के समय में हुई बारिश ने जहां धान की फसल को बर्बाद करके रख दिया। वहीं रबी फसल की बोआई भी पीछे हो गई। जब रबी बोआई का समय आया तो किसान खाद के लिए सड़कों पर थे। किसी तरह बोआई की तो अब फिर प्रकृति पीछे पड़ गई है। मौसम के हाथों छले जा रहे किसान इन दिनों काफी परेशान हैं।
पिछले चार-पांच दिनों से बढ़ी ठंड वह धूप नहीं निकलने से खेतों में लगी सब्जियों की फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगा है। ठंड की चपेट में आने से आलू की फसल झुलसा रोग की चपेट में आने लगी है। सरसों तथा प्याज की खेती पर भी ठंड का असर दिखने लगा है। ठंड की मार से गोभी में बन रही फूल व पत्तियां भी झुलसने लगी हैं। इससे सब्जी की खेती करने वाले किसानों की चिता बढ़ती जा रही है। किसानों का कहना है कि पिछले चार-पांच दिनों से मौसम के बदले मिजाज से सब्जियों की फसल पर ठंड की मार पड़ने लगी है। ठंड का सबसे अधिक असर आलू तथा प्याज पर पड़ा है। आलू की फसल झुलसा रोग की चपेट में आने लगी है। यही हाल तेलहन का भी है। अत्यधिक ठंड और धूप नहीं निकलने के कारण तेलहन फसल की पत्तियां पीली पड़ने लगी है। इससे पौधे का विकास रुक सा गया है। ---
60 हेक्टेयर में होती है आलू की खेती
कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रखंड क्षेत्र में 60 हेक्टेयर में आलू की खेती होती है। जिन किसानों को कम भी जमीन है, वे भी कम से कम साल भर खुद खाने के लिए आलू की खेती करते हैं। कुंदर, भलूई, संग्रामपुर, इटौन, मलिया गांव आलू उत्पादन के लिए विख्यात है। यहां के किसान आलू की व्यवसायिक खेती करते हैं। किसानों को इससे अच्छी आमदनी होती है। किसान सुभाष महतो, केदार महतो, सुधेश्वर महतो, पप्पू साव, बालचंद महतो, शिको साव, दिबंगर मंडल आदि बताते हैं कि एक ही खेत में किसान दो-दो बार आलू की खेती करते हैं। इस बार किसान अत्यधिक बारिश के कारण आलू की अगता फसल लगाने से वंचित रह गए थे। कुछ किसानों ने बारिश से पहले आलू की फसल लगाई भी थी जो बर्बाद हो गई। अब ठंड किसानों को बर्बाद करने पर तुली है। ---
कहते हैं कृषि पदाधिकारी
ठंड के प्रकोप से बचाने के लिए किसान आलू, टमाटर और प्याज की नर्सरी व खेतों के आसपास चारों ओर धुआं करें। चार-पांच दिनों के अंतर पर शाम के समय थोड़ा सा पटवन अवश्य करें। रिडोमिल नामक पाउडर एक लीटर पानी में दो ग्राम दवा मिलाकर छिड़काव करें या फिर डाईथेम एम 45 नामक दवा के छिड़काव से पाला या झुलसा के प्रकोप से फसल को बचाया जा सकता है।
सुशील कुमार, प्रखंड कृषि पदाधिकारी, चानन
Edited By Jagran