सात ट्रेनों के ठहराव के लिए 60 दिनों के आश्वासन को ठुकराया फिर माना
बड़हिया रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों के ठहराव को लेकर दो दिनों से जारी रेल आंदोलन 34 घंटे बाद समाप्त हो गया। इस बार भी आश्वासन का ही झुनझुना मिला है। आखिर बड़हिया के साथ ऐसा क्यों हो रहा है यह सवाल हर किसी के जेहन में है। दो दिनों के रेल चक्का जाम आंदोलन में इस बार भी जिला प्रशासन की भूमिका सहानुभूतिपूर्ण रही।
संवाद सहयोगी, लखीसराय। बड़हिया रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों के ठहराव को लेकर दो दिनों से जारी रेल आंदोलन 34 घंटे बाद समाप्त हो गया। इस बार भी आश्वासन का ही झुनझुना मिला है। आखिर बड़हिया के साथ ऐसा क्यों हो रहा है यह सवाल हर किसी के जेहन में है। दो दिनों के रेल चक्का जाम आंदोलन में इस बार भी जिला प्रशासन की भूमिका सहानुभूतिपूर्ण रही। राजनीतिक रूप से काफी समृद्ध माना जाने वाला लखीसराय जिला कई राजनीतिक दिग्गजों की कर्मभूमि रही है लेकिन आंदोलन शुरू होने के बाद राजनीतिक दिग्गजों की चुप्पी पर भी सवाल है। इसको लेकर आंदोलनकारियों में अपने लोकप्रिय नेताओं और जनप्रतिनिधियों के खिलाफ गहरी नाराजगी भी है। ----
सात ट्रेनों के ठहराव के लिए 60 दिन की मोहलत
बड़हिया में आंदोलनकारी कोरोना काल से पहले बड़हिया स्टेशन पर रुक रही पाटलिपुत्र एक्सप्रेस सहित सात ट्रेनों के ठहराव की मांग को लेकर रविवार से आंदोलन कर रहे थे। आंदोलन स्थल पर दानापुर रेलवे के एडीआरएम, आरपीएफ कमांडेंट के साथ जिला प्रशासन की पूरी टीम लगातार कैंप कर रही थी। इस दौरान छह से सात बार वार्ता हुई लेकिन सफलता नहीं मिली। सोमवार की दोपहर बाद डीएम संजय कुमार सिंह, एसपी पंकज कुमार एडीआरएम के साथ धरना स्थल पर बैठे आंदोलनकारियों को उनकी मांगों के अनुसार पाटलिपुत्र एक्सप्रेस ट्रेन का ठहराव 15 दिन में पूरा करने और शेष छह ट्रेनों के लिए 60 दिन का समय निर्धारित कर लिखित पत्र देने की घोषणा। इसके बाद भी आंदोलनकारियों ने उनकी बातों को ठुकरा दिया। डीएम ने काफी प्रयास किया इसके बाद शाम को फिर उसी पर सहमति बनी और आंदोलन वापस लिया गया। ---
केंद्रीय मंत्री के गांव में रेल आंदोलन की गूंज
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के गृह क्षेत्र बड़हिया में जारी रेल आंदोलन ने पूरे रेल महकमे की नींद उड़ा दी है। मांगों को पूरा करने के बदले एक बार फिर रेलवे के अधिकारी ग्रामीणों को ट्रेन ठहराव का आश्वासन देते रहे। इस बार आंदोलनकारी आर-पार की लड़ाई लड़ने का मन बना लिया लेकिन अंत में डीएम की भावना का कद्र भी किया गया। मुंगेर के सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन राज्य सरकार में प्रभावी हैं। लखीसराय के विधायक विजय कुमार सिन्हा बिहार विधानसभा अध्यक्ष के पद पर काबिज हैं। तीनों सत्तारूढ़ दल से जुड़े हैं। बावजूद रेल मंत्रालय की हठ से स्थानीय लोग हतप्रभ हैं।