187 टीबी मरीजों की बढ़ी मुश्किलें, नहीं हो रही जांच
अस्पताल में आउटडोर सेवा बंद नहीं हा रही मरीजों की बलगम की जांच जिले के टीबी मरीजों
अस्पताल में आउटडोर सेवा बंद, नहीं हा रही मरीजों की बलगम की जांच
जिले के टीबी मरीजों को नहीं मिल रही है दवा, मुश्किल में फंसी है जिदगी संवाद सहयोगी, लखीसराय : केंद्र सरकार ने 2025 तक टीबी मुक्त भारत बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसको लेकर कई योजनाएं चलाई जा रही है। परंतु कोरोना वायरस को लेकर 23 मार्च से जारी लॉकडाउन के कारण जिले के टीबी मरीजों एवं इस रोग के संदिग्ध मरीजों का इलाज नहीं हो रहा है। सदर अस्पताल की आउटडोर सेवा बंद रहने से बलगम की जांच नहीं हो पा रही है। इससे इलाजरत टीबी मरीजों की दवा बंद है। नए टीबी मरीजों को चिह्नित करने का काम भी बंद है। इस कारण इलाजरत टीबी मरीजों का ससमय स्वस्थ होना संभव नहीं है। एक दिन भी दवा बंद करना इलाजरत टीबी मरीज के लिए घातक होता है। सदर अस्पताल परिसर स्थित जिला यक्ष्मा केंद्र में लॉकडाउन के पूर्व प्रतिदिन औसतन दस संदिग्ध टीबी मरीजों के बलगम की जांच होती थी। इसमें प्रतिदिन औसतन पांच नए टीबी मरीज को चिह्नित कर इलाज शुरू किया जाता था। परंतु लॉकडाउन के दौरान जिला यक्ष्मा केंद्र में एक भी संदिग्ध अथवा इलाजरत टीबी मरीज के बलगम की जांच नहीं हो पाई है। जिला यक्ष्मा केंद्र के कर्मियों एवं लैब टेक्नीशियन को कोरोना वायरस को लेकर स्थापित जिला नियंत्रण कक्ष में ड्यूटी में लगाई गई है।
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टीबी मरीजों की जांच व इलाज की व्यवस्था टीबी मरीज के लक्षण वाले व्यक्ति सदर अस्पताल सहित विभिन्न पीएचसी में निबंधन कराएंगे। संबंधित अस्पताल में ओपीडी में जाकर चिकित्सक को बीमारी के संबंध में जानकारी देनी है। इसके बाद चिकित्सक टीबी के लक्षण वाले संबंधित मरीज के पुर्जा पर बलगम की जांच लिखते हैं। जांच में टीबी रोग पाए जाने के बाद दवा शुरू की जाती है। चिह्नित टीबी मरीज के दो माह एवं चार माह दवा खाने के बाद पुन: उसके बलगम की जांच की जाती है। जांच के बाद ही निगेटिव रिपोर्ट आने पर दवा जारी रहती है। जबकि पॉजिटिव मरीज की दवा बदली जाती है।
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दो एवं चार माह तक दवा खाने वाले हैं 187 टीबी मरीज जिले में जनवरी 2020 से इलाजरत 87 एवं अक्टूबर 2019 से इलाजरत 61 टीबी मरीज हैं। जनवरी से इलाजरत टीबी मरीज का दो माह एवं अक्टूबर से इलाजरत टीबी मरीज का चार माह इलाज पूरा हो गया है। ऐसे टीबी मरीजों को बलगम की जांच कराए बिना दवा नहीं दी जा सकती है। परंतु लॉकडाउन के कारण इलाजरत टीबी मरीजों के इलाज के दो माह एवं चार माह पूरा होने के बाद बलगम की जांच नहीं होने के कारण दवा बंद है।
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कोट
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जिला यक्ष्मा केंद्र के कर्मियों को कोरोना के जिला नियंत्रण कक्ष में ड्यूटी लगाई गई है। इस कारण समयानुसार लैब संचालित नहीं हो पाता है। टीबी मरीजों की बलगम जांच इस कारण नहीं हो पा रही है। ऐसे मरीजों की दवा बंद है जो उचित नहीं है। नए टीबी मरीज भी चिह्नित नहीं हो पा रहे हैं।
- डॉ. प्रकाशचंद्र वर्मा, अपर उपाधीक्षक सह सहायक अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी (संचारी रोग यक्ष्मा नियंत्रण) लखीसराय