सूर्यगढ़ा विधानसभा के लिए स्थानीय प्रत्याशी का हो चयन : संजय
आयातित नेताओं के कारण सूर्यगढ़ा विधानसभा का नहीं हो सका है संपूर्ण विकास दलीय भावना से
आयातित नेताओं के कारण सूर्यगढ़ा विधानसभा का नहीं हो सका है संपूर्ण विकास
दलीय भावना से ऊपर उठकर स्थानीय कार्यकर्ता को चुनने का लेना होगा संकल्प संसू., सूर्यगढ़ा (लखीसराय) : सूर्यगढ़ा विधानसभा से 1985 से लगातार आयातित बाहरी लोग विधायक बनते आ रहे हैं। ऐसे लोगों को यहां की मिट्टी से प्रेम कम अपनी पांच साल की सत्ता की भूख अधिक रहती है। यही कारण है कि सूर्यगढ़ा विधानसभा क्षेत्र का विकास अपेक्षित तरीके से नहीं हो पाया है। जिला जदयू पंचायती राज प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष सह मुंगेर विश्वविद्यालय, मुंगेर के सीनेट सदस्य संजय महतो ने ये बातें मीडिया से कही है। उन्होंने कहा कि सूर्यगढ़ा का यह दुर्भाग्य है कि किसी भी दल के खाते में स्थानीय कार्यकर्ता प्रत्याशी के रूप में नहीं हैं। स्थानीय कार्यकर्ता पार्टी से जुड़कर सबकुछ न्योछावर करके संगठन को तैयार करते हैं और बाहरी लोग आकर यहां पांच साल तक राज करते हैं। इस कारण समर्पित कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटता चला जा रहा है। बाहरी विधायक रहने के कारण उन्हें सिर्फ अपने स्वार्थ की राजनीति से मतलब रहता है। क्षेत्र के विकास का मॉडल उनके पास नहीं होता है। यही वजह है कि छोटे-छोटे प्रखंड का विकास हो गया लेकिन जिले का सबसे बड़ा प्रखंड सूर्यगढ़ा और इस विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत चानन प्रखंड सबसे उपेक्षित अब भी है। सरकार एवं जिला प्रशासन के पास यहां के विकास के लिए कोई कार्ययोजना नहीं है क्योंकि बाहरी विधायकों को इन सबसे मतलब नहीं रहा है। उन्होंने सूर्यगढ़ा के सभी राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं व आम नागरिकों का आह्वान किया है कि अब यहां भी क्षेत्रीयता की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार रहें। आगामी 2020 के विधानसभा चुनाव में एकजुट होकर दलीय भावना से ऊपर उठकर सूर्यगढ़ा के बेटे को विधानसभा पहुंचाने का संकल्प लेना होगा। लगातार 35 वर्षो से बाहरी लोगों का पालकी यहां की जनता और कार्यकर्ता ढो रहे हैं। अब अपने बेटे और भाई के हाथों को मजबूत करने का समय आ गया है।