फाइलों में दम तोड़ रहा शिक्षा का अधिकार कानून
लखीसराय। राज्य सरकार ने शिक्षा को बढ़ावा देने एवं अभिवंचित वर्ग के गरीब बच्चों को निजी विद्यालय में
लखीसराय। राज्य सरकार ने शिक्षा को बढ़ावा देने एवं अभिवंचित वर्ग के गरीब बच्चों को निजी विद्यालय में मुफ्त नामांकन कराने के लिए वर्ष 2010 में शिक्षा का अधिकार कानून लागू किया था। कानून के तहत निजी विद्यालयों में 25 फीसद सीटों पर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति के अभिवंचित एवं उपेक्षित वर्ग के बच्चों का नामांकन अनिवार्य रूप से करना है। लखीसराय जिले में शिक्षा विभाग ने 85 निजी विद्यालयों को आरटीई के तहत प्रस्वीकृति दिया है। बावजूद जिले में आरटीई कानून अभी भी फाइलों से पूरी तरह बाहर नहीं निकला है। शिक्षा पदाधिकारी स्कूलों से गरीब बच्चों की सूची मंगाकर उसे सरकार व विभाग को भेजने की औपचारिकता जरूर पूरा करते हैं लेकिन शिक्षा पदाधिकारी द्वारा कभी इसका अनुश्रवण सही ढंग से नहीं किया जाता है। इस कारण गरीब बच्चों को इस कानून का लाभ नहीं मिल पाता है। गरीब बच्चों के नामांकन का आंकड़ा नहीं
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शिक्षा विभाग ने जिन निजी स्कूलों को मान्यता दी है उन स्कूलों में नए सत्र की पढ़ाई भी शुरू हो गई है। लेकिन इन विद्यालयों में कितने गरीब बच्चों का नामांकन हुआ है इसका कोई आंकड़ा शिक्षा विभाग के पास उपलब्ध नहीं है। शहर में कई ऐसे भी निजी विद्यालय हैं जहां अभीतक एक भी गरीब बच्चों का नामांकन नहीं लिया गया है। विद्यालय संचालक भी इस कानून का पालन करने में पूरी तरह उदासीन बने हुए हैं। खास बात यह भी है कि कोई भी शिक्षा पदाधिकारी कभी स्कूलों में जाकर इसकी जांच भी नही करते हैं। विद्यालय के संचालक जो सूची विभाग को देते हैं। पदाधिकारी उसकी जांच किए बगैर मुख्यालय भेज देते हैं। आरटीई मामले में कोर्ट हुआ सख्त तो जागा विभाग
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बिहार में शिक्षा का अधिकार कानून का सही ढंग से अनुपालन नहीं होने एवं कानून के तहत गरीब व अभिवंचित वर्ग के बच्चों को इसका लाभ नहीं मिलने पर गत माह पटना हाइकोर्ट ने भी गहरी नाराजगी जताते हुए सरकार से इस पर रिपोर्ट तलब किया था। इसके बाद शिक्षा विभाग जागा है। विभाग के निदेशक ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को पत्र भेजकर आरटीई के तहत जिले के निजी स्कूलों में गरीब बच्चों के हुए नामांकन की पूरी रिपोर्ट तलब की है। तत्कालीन डीएम की पहल का भी असर नहीं
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तत्कालीन जिलाधिकारी सुनील कुमार ने जिले में आरटीई के तहत गरीब के बच्चों को इसका लाभ दिलाने की दिशा में काफी गंभीरता से पहल की थी। 11 मई 2016 को जिलाधिकारी ने अच्छे कार्य करने के लिए जिले के पांच निजी विद्यालयों के संचालकों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया था लेकिन उनके तबादले के बाद शिक्षा विभाग भी सो गया। इस कारण गरीब के बच्चों का नामांकन रफ्तार नहीं पकड़ सका। कोट
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जिले के सभी प्रस्वीकृति प्राप्त निजी विद्यालयों के संचालकों एवं प्राचार्य को पत्र भेजकर पांच मई तक आरटीई के तहत गरीब बच्चों के नामांकन संबंधित सूची मांगी गई है। सूची नहीं देने वाले विद्यालयों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। आरटीई को जिले में प्रभावी ढंग से लागू करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। इसके लिए डीपीओ एसएसए को नोडल पदाधिकारी बनाया गया है। प्राप्त सूची का सत्यापन भी कराया जाएगा।
- सुनयना कुमारी, डीईओ, लखीसराय