कुहासा हो रहा कम, आलू-सरसों की फसल में आएगी दम
पिछले साल के अपेक्षा इस बार कुहासा कम पड़ने के कारण तिलहन व आलू की खेती करने वाले किसान काफी खुश नजर आ रहे हैं।
संवाद सूत्र, बहादुरगंज (किशनगंज) : पिछले साल के अपेक्षा इस बार कुहासा कम पड़ने के कारण तिलहन व आलू की खेती करने वाले किसान काफी खुश नजर आ रहे हैं। वहीं इससे पूर्व हर साल लंबे समय तक कुहासा व ठंड पड़ने के कारण आलू व सरसों की खेती पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता था। फलस्वरूप समय से पहले ही आलू का पौधा झुलसा बीमारी का शिकार हो जाता था, जिस कारण किसानों को मन मुताबिक आलू का पैदावार नहीं हो पाता था। हालांकि किसानों का कहना है कि बुधवार को हल्की बूंदाबांदी होने से आलू का फसल अच्छा ही होगा। हल्की बारिश से आलू और सरसों फसल को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा। यही हाल तेलहन के साथ भी था, लेकिन इस बार अन्य साल के अपेक्षा कुहासा का प्रकोप विलंब से पड़ने के कारण एक ओर जहां आलू की तना परिपक्व हो जाने से कुहासा का प्रभाव नहीं पड़ सका। वहीं दूसरी ओर तेलहन खासकर सरसों की फसल को भी प्रभावित नहीं कर सका। प्रखंड क्षेत्र के किसान सुरेश कुमार सिंह, हरिहर प्रसाद सिंह, सईदुर रहमान, मु. बाबुल, अशोक कुमार मांझी सहित दर्जनों किसानों ने बताया कि इस बार अन्य साल के अपेक्षा आलू व सरसों की खेती अच्छा हुआ है। इसका मूल कारण अधिक कुहासा का नहीं पड़ना है। वहीं गेहूं खेती करने वाले कुछ किसानों का कहना माने तो कम शीत लहरी के कारण गेहूं की फसल भी अच्छी होने की उम्मीद है। वैसे कहा जाता है कि गेहूं की खेती के लिए जितना शीतलहरी होगा उतना गेहूं की फसल होने की उम्मीद है। कृषि वैज्ञानिक पूर्व उप निदेशक कृषि विभाग भारत सरकार के डा. पीपी सिन्हा का कहना है कि इस बार किसानों को आलू व सरसों की अच्छी पैदावार होने की उम्मीद है। अधिक कुहासा पडने पर आलू का पौधा झुलसा बीमारी का शिकार हो जाता है। जिसके बचाव आलू का सिचाई कर आलू को झुलसा बीमारी से बचाया जा सकता है। वैसी इस बार वैसी स्थिति नहीं है।