रेनकट की जद में महानंदा तटबंध, शहर पर मंडराया खतरा
संवाद सहयोगी किशनगंज शहर को महानंदा नदी से बचाने के लिए बनाए गए तटबंध अब रेनकट की ज
संवाद सहयोगी, किशनगंज : शहर को महानंदा नदी से बचाने के लिए बनाए गए तटबंध अब रेनकट की जद में है। लगातार हो रही मूसलाधार बारिश की वजह से मौजाबाड़ी महानंदा पुल से गाछपाड़ा पंचायत के कमारमनी तक लगभग चार किलोमीटर लंबी तटबंध का उपरी हिस्सा जगह-जगह कट चुका है। सैंडबैग डालकर फौरी तौर पर बचाव की गई लेकिन महानंदा का जलस्तर बढ़ने से तटबंध ध्वस्त होने की आशंका जताई जा रही है।
बताते चलें कि अगस्त 2017 में आई बाढ़ के बाद शहर को महानंदा के परकोप से बचाने के लिए मौजाबाड़ी से लेकर गाछपाड़ा पंचायत के कमारमनी तक लगभग चार किमी लंबे बांध का पांच करोड़ की लागत से मरम्मती कराया गया था। लेकिन बांध पर मिट्टी देने के बाद रॉलिग व बोल्डर पिचिग नहीं किए जाने कारण लगातार बारिश से बांध जगह-जगह रेनकट की चपेट में आनेने लगा है। अब विभाग द्वारा बांध को बचाने के लिए सैंडबैग व मिट्टी डाला जा रहा है। जबकि एक-दो जगह नहीं बल्कि पूरा बांध ही रेनकट की जद में है।
रेनकट के कारण बांध पर बड़े बड़े गढ्ढे हो गए हैं। महानंदा नदी के उफान से यह रेनकट बांध को ध्वस्त कर बाढ़ का रूप ले सकता है। जिससे कई गांव व शहर में बाढ़ का खतरा बढ़ सकता है। बांध के निकट बसे गांव बालूपुर, खाड़ीबस्ती, कमारमनी, अन्धवाकोल खाड़ीबस्ती आदि गांवों के लोगों में दहशत है। हालांकि वर्तमान में नदी का जलस्तर नहीं बढ़ने के कारण खतरा कम है लेकिन बारिश के होने से खतरा बढ़ सकता है। वहीं बांध निर्माण को लेकर कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं। शहर में पानी नहीं प्रवेश करे, इसके लिए बांध गाछपाड़ा पंचायत के कमारमनी से लेकर मोजाबाड़ी पुल तक बनाया गया है। वहीं सहायक बांध भी मोजाबाड़ी पुल तक बनाया गया है। हल्की बारिश में बांध का मिट्टी कट कर नदी में बह रहा है। कुछ स्थानों पर सीमेंट की बोरी में मिट्टी डाल कर कटाव रोकने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन बांध का स्थिति चिताजनक बनी हुई है। इसके अलावा कमारमनी गांव के पीसीसी सड़क के सुरुवात तक ही जीरो बैग बांध के दोनों छोड़ पर दिया गया है। कमारमनी की ओर लगभग 195 मीटर बांध पर जीरो बैग बिछाया गया है। इसके बाद मोजाबाड़ी के निकट कुछ बैग का इस्तेमाल किया गया है। मिली जानकारी के अनुसार प्राकलन के अनुसार बांध के कटाव वाले स्थान पर बोल्डर पिचिग कड़ना था जिसे नहीं किया गया है।
जबकि 2017 में बिहारी टोला के समीप तटबंध ध्वस्त होने से शहर में पानी प्रवेश कर गया था। लोग इसी बात से डरे हुए है कि कहीं इस बार भी बाढ़ की स्थिति उत्पन्न न हो जाए। गाछपाड़ा पंचायत के कमारमनी, खाड़ी बस्ती, बालूपुर, सालकी, अंधवाकोल, बौमाबस्ती, महेशबथना, टेवसा पंचायत के फुलबाड़ी, पिपला आदि गांव चपेट में आने से 30-40 हजार लोग प्रभावित होंगे।
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कोट - बालू मिट्टी से बांध का निर्माण होने से बारिश में रेनकट हो रहा है। रेनकट को दुरुस्त करने को लेकर मिट्टी से भरा बैग डाला जा रहा है। बारिश के बाद बांध के मजबूतीकरण करने के लिए बांध को पांच मीटर चौड़ा कर उस पर पीसीसी सड़क बनाया जाएगा। वर्तमान में बांध की चौड़ाई तीन मीटर है। - अशोक कुमार यादव, कार्यपालक अभियंता, बाढ़ नियंत्रण एवं जल निस्सरण प्रमंडल, किशनगंज।