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पुरानी घटनाओं से सबक नहीं ले पाई किशनगंज पुलिस

किशनगंज। सीमावर्ती बंगाल के अपराधी किशनगंज जिले में घटना को अंजाम देकर वापस भाग जाते हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 10 Apr 2021 08:27 PM (IST)Updated: Sat, 10 Apr 2021 08:27 PM (IST)
पुरानी घटनाओं से सबक नहीं ले पाई किशनगंज पुलिस
पुरानी घटनाओं से सबक नहीं ले पाई किशनगंज पुलिस

किशनगंज। सीमावर्ती बंगाल के अपराधी किशनगंज जिले में घटना को अंजाम देकर वापस भाग जाते हैं। बाइक चोरी, लूट व छिनतई की घटना को अंजाम देकर आसानी से अपराधी बंगाल सीमा में दाखिल हो जाते हैं। इसे लेकर किशनगंज पुलिस सीमावर्ती इलाकों में अक्सर छापेमारी भी करती रही है। हालांकि पुरानी घटनाओं से सबक नहीं ले पाना पुलिस की बड़ी भूल साबित हुई।

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शनिवार अलसुबह को बंगाल के पनतापाड़ा में भीड़ द्वारा थानाध्यक्ष सह इंस्पेक्टर अश्विनी कुमार की हत्या कर दिया गया। मॉब लिचिग में बंगाल में बिहार के किसी पुलिस पदाधिकारी की हत्या का यह पहली घटना है लेकिन पुरानी घटनाओं से पुलिस सबक नहीं ले पाई। दो साल पूर्व भी किशनगंज पुलिस टीम पर बंगाल के इसी इलाके में छापेमारी के दौरान हमला किया गया था। टाउन थाना के एएसआइ रंजन शर्मा की पिटाई कर बंधक बना लिया गया था। उन्हें बाद में बंगाल पुलिस के कब्जे से मुक्त कराया गया था। शनिवार की तरह ही उस वक्त भी वर्तमान सर्किल इंस्पेक्टर मनीष कुमार टाउन थानाध्यक्ष थे। मनीष कुमार के नेतृत्व में ही छापेमारी की गई थी।

10 मार्च 2019 को एसपी कुमार आशीष के निर्देश पर टाउन थाना की पुलिस ने बंगाल के बालुचुक्का निवासी टीएमसी नेता सह इंट्री माफिया गुलाम मुस्तफा की गिरफ्तारी के लिए उसके कार्यालय और लाइन होटल में दबिश दी। मुस्तफा का सुराग नहीं मिलने पर पुलिस उसके आवास पर धावा बोला। जहां उसके स्वजनों के विरोध करने पर पुलिस ने हल्का बल प्रयोग किया। जिससे मुस्तफा की वार्ड सदस्य पत्नी साइबा खातून और किशनगंज प्रखंड प्रमुख सास तैयबा खातून घायल हो गई। इस बीच ग्रामीण पुलिस की कार्रवाई का विरोध करने लगे और पुलिस से उलझ गए। देखते ही देखते भीड़ ने पुलिस पर हमला बोल दिया। इसमें कई पुलिस कर्मी घायल हो गए और किसी तरह भाग कर जान बचाई। इस दौरान भीड़ ने टाउन थाना के एएसआइ रंजन शर्मा को दबोच लिया और बेरहमी से उनकी पिटाई कर दी। घटना की सूचना पर पहुंची पांजीपाड़ा पुलिस ने एएसआइ को भीड़ के चंगुल से छुड़ाकर अपने कब्जे में ले लिया। जिसके बाद कागजी प्रक्रिया पूरी कर एएसआइ को मुक्त कराया गया।


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