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कनकई नदी के कटाव से ग्रामीणों में भय का माहौल

किशगनंज। टेढ़ागाछ प्रखंड क्षेत्र में कनकई नदी के कटाव से ग्रामीणों में भय का माहौल है। ख

By JagranEdited By: Published: Tue, 04 Aug 2020 08:32 PM (IST)Updated: Wed, 05 Aug 2020 07:32 AM (IST)
कनकई नदी के कटाव से ग्रामीणों में भय का माहौल
कनकई नदी के कटाव से ग्रामीणों में भय का माहौल

किशगनंज। टेढ़ागाछ प्रखंड क्षेत्र में कनकई नदी के कटाव से ग्रामीणों में भय का माहौल है। खाकसर मटियारी व डाकपोखर पंचायत में विभिन्न जगहों पर हो रहे कटाव को रोकने के लिए ग्रामीण अब स्वयं बांस बल्ले का जुगत कर जुट गए हैं। मटियारी पंचायत के महतो टोला के समीप तेज हो रहे कटाव को रोकने का प्रयास जोरशोर से किया जा रहा है। आपस में चंदा कर ग्रामीणों के द्वारा पांच दिनों में लगभग 50 मीटर कटावरोधी कार्य किया गया है।

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मालीटोला सिरनियां वार्ड संख्या 11 भी कनकई नदी के कटाव के जद में है। तहमीद, नूरबक्स, अशफाक, मु. कोहेनूर, लुकमान, सुलेमान, अतिकुर रहमान, रहीम आदि ग्रामीणों ने बताया कि नदी का कटाव गांव के बिल्कुल पास आ पहुंचा है। कभी भी घर द्वार नदी के गर्भ में समा सकता है। अगर समय रहते सरकार की तरफ से तत्काल कोई व्यवस्था नहीं किया गया तो मालीटोला, परतीटोला, मटियारी के तरह हमारा गांव भी नदी में समा जाएगा।

टेढ़़ागाछ प्रखंड के नदियों का जलस्तर घटते ही कटाव हर साल तबाही मचाती है। गांव के गांव नदी में समा जाता है। हाल के वर्षों में मटियारी, डाकपोखर, चिल्हनिया, झुनकी मुसहरा व भोरहा पंचायत में कटाव से भारी नुकसान पहुंचा है। इस बार फिर से कनकई नदी का कटाव जारी है। हालांकि बाढ़ नियंत्रण एंव जल निस्सरण विभाग की ओर से बांस बल्ला से कटावनिरोधी कार्य भी कराया जा रहा है। लेकिन ग्रामीणों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। लोगों का कहना है कि कामचलाऊ उपाय किए जाने से निदान होने वाला नहीं है। आलम यह है कि अब तक 10 फीट भी काम नहीं हुआ है। इस प्रकार कछुआ चाल में वर्षों लग जाएगा और कार्य की गुणवत्ता भी ठीक नहीं है।

मटियारी हाट को बचाने के लिए महतोटोला के पास ग्रामीणों ने कटावनिरोधी कार्य निजी पैसे से मजदूर रखकर चार दिनों से कर रहे हैं। 50 मीटर से ज्यादा काम को पूरा भी कर लिया गया है। मटियारी हाट और मटियारी रोड को बचाने का मुख्य उद्देश्य है। गांव के लोग रात दिन काम कर रहे हैं। ग्रामीण लगातार जनप्रतिनिधियों और प्रशासन से मटियारी हाट और माली टोला को बचाने के लिए बांध बनाने की मांग कर रहे हैं। जिससे उनका आशियाना सुरक्षित रहे और तरक्की हो सके।


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