ब्रूसोलेसिस से बचाव को ले टीकाकरण जरूरी
किशनगंज। ब्रूसोलेसिस बीमारी के अधिकतर शिकार मवेशी के बच्चे होते हैं। इसका मुख्य वजह यह है कि इनके शर
किशनगंज। ब्रूसोलेसिस बीमारी के अधिकतर शिकार मवेशी के बच्चे होते हैं। इसका मुख्य वजह यह है कि इनके शरीर में प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। जिसके कारण चार से लेकर छह माह तक के ऐसे पशुओं में यह बीमारी फैलने का खतरा बना रहता है। इस बीमारी के शिकार मवेशी के बच्चों के शरीर का वजन कम होने लगता है। साथ ही ज्वर के साथ भूख भी कम लगती है। समय पर ईलाज नहीं होने से इनकी मौत भी हो सकती है।
इस बीमारी के लक्षण दिखते ही पशु चिकित्सक की देख-रेख में उचित उपचार करवाना चाहिए। जिससे कि पशुओं के जीवन की रक्षा हो सके और पशुपालकों को कोई नुकसान भी नही हो। इसके लिए जिला में ब्रूसोलेसिस टीकारण गांव गांव में चल रहा है। इस टीकाकरण का मुख्य उद्देश्य यह है कि बाछी और पारी जब गर्भधारण करे तो इसके गर्भपात की संभावना बिलकुल नही रहे।
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ब्रूसोलेसिस बीमारी से बचाव के लिए बाछी और पारी को इसका टीका दिया जाता है। जिला में लगभग 27,000 बाछी और पारी को यह टीका लगाया जाएगा। इस दिशा में टीकाकरण कार्य शूरू हो गया है। यह बीमारी अधिकतर पांच से लेकर सात माह के बाछी और पारी में फैलने का खतरा अधिक होता है। यह एक जैनेटिक बीमारी है, जो पशुओं के माध्यम से इंसान में भी आ जाता है। इस बीमारी से ग्रसित इंसानों को भूख की कमी और तेज बुखार आने लगते हैं।
डॉ. संजय कुमार, पशु चिकित्सक।