गण के तंत्र- नारी सशक्तिकरण को ले समाज को राह दिखा रही अर्पिता
किशनगंज। समाज में बालिकाओं के जन्म से अभिभावक खुशियां मनाएं। इसके लिए जरूरी है कि बालिकाओं को स्कूल
किशनगंज। समाज में बालिकाओं के जन्म से अभिभावक खुशियां मनाएं। इसके लिए जरूरी है कि बालिकाओं को स्कूल भेजने के प्रति विशेष ध्यान दिया जाए। इसके लिए जरूरी है कि उन्हें प्राथमिक से लेकर इंटरमीडिएट तक की गुणवत्तावपूर्ण शिक्षा हर हाल में मिले। इसके लिए माता-पिता को भी जागरूक होने की जरूरत है। बालिकाओं को बचपन में शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ दिया जाए तो निश्चित ही वह अपने मंजिल की तलाश में कदम आगे बढ़ा सकती हैं। धर्मगंज निवासी समाज सेविका अर्पिता साहा बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओ अभियान को लेकर समाज को जगाने का हर संभव प्रयास कर रही हैं। कहती हैं कि बेटियों की शिक्षा को लेकर अभिभावकों को धैर्य रखने की जरूरत है। वर्तमान समय में जिन बेटियां को शिक्षा मिल जाती है। उनके कदम फिर पीछे नही हटते।
बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के प्रति शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोगों को जागरूक करना जरूरी हो गया है। जिससे कि मध्यम
और निम्न वर्गीय लोग बेटा और बेटी को एक समान की भावना से देखे। बेटियों को अगर बेटों की तरह शिक्षा-दीक्षा दी जाए तो निश्चित ही वह अपनी प्रतिभा सभी क्षेत्रों में दिखाने में कामयाब रहती हैं। इतिहास गवाह है कि उचित शिक्षा मिलने पर सरोजनी नायडू, विजया लक्षमी पंडित,
इंदिरा गांधी, मैडम क्यूरी, कल्पना चावला,र सुनीता विलियम जैसी महिलाओं ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना नाम रोशन करने में कामयाब रहीं।
समाज सेवी अर्पिता साहा कहती हैं कि पिछले कई वर्षों से बेटियों को समाज में बेटों जैसा अधिकार मिले, इसके लिए संघर्ष कर ही हूं। हालांकि इस दिशा में कई प्रकार की कि कठिनाईयां भी आती हैं। लेकिन इन कठिनाईयों की परवाह किए बिना ही अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ने का प्रयास कर रही हूं। मैट्रिक की वार्षिक पूरक परीक्षा में लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या बढ़ी है।