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पौष पूर्णिमा के साथ चार दिवसीय माता मेला प्रारंभ

किशनगंज। ठाकुरगंज प्रखंड के पूर्वोत्तर दिशा में स्थित कुकुरबाघी के गन्धुगछ गांव में अस्थित

By JagranEdited By: Published: Wed, 23 Jan 2019 12:34 AM (IST)Updated: Wed, 23 Jan 2019 12:34 AM (IST)
पौष पूर्णिमा के साथ चार दिवसीय माता मेला प्रारंभ
पौष पूर्णिमा के साथ चार दिवसीय माता मेला प्रारंभ

किशनगंज। ठाकुरगंज प्रखंड के पूर्वोत्तर दिशा में स्थित कुकुरबाघी के गन्धुगछ गांव में अस्थित माता भगवती मंदिर में पौष पूर्णिमा के अवसर पर मां भगवती की धूमधाम से पूजा अर्चना की गई। सोमवार को उक्त गांव के निकट बूंद नदी के किनारे लगने वाले माता भगवती के चरण में माथा टेकने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु उमड़ पड़े। प्रखंड क्षेत्र के प्रसिद्ध व आस्था का प्रतीक माना जाने वाला माता मेला में भक्तजन अपनी मनोकामतना पूरी होने पर अथवा मन्नतें मांगने काफी संख्या में पहुंचते हैं। शीतलहरी व कड़ाके की ठंड में भी श्रद्धालु पड़ोसी राष्ट्र नेपाल, पड़ोसी राज्य बंगाल व जिले के अन्य प्रखंडों सहित दूर दराज स्थानों से भी पहुंच रहे हैं।

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चार दिवसीय माता मेला का शुभारंभ कार्यक्रम में पूजा आयोजन समिति के संरक्षक पूर्व मुखिया रविन्द्र चंद्र ¨सह व वरिष्ठ ग्रामीणों के द्वारा संयुक्त रूप से पूजा अर्चना कर शुरुआत की गई। इस बावत पूर्व मुखिया रविन्द्र चन्द्र ¨सह ने बताया कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी भक्तजनों की उपस्थिति में काफी इजाफा हुआ। नेपाल से काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। मेला के आयोजन के लिए अनुमंडल दंडाधिकारी, किशनगंज से प्रशासनिक अनुमति ली गई है, जिसकी लिखित सूचना प्रखंड विकास पदाधिकारी व अंचल अधिकारी, ठाकुरगंज व गलगलिया थानाध्यक्ष को दी गई है।

उन्होंने बताया कि प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी माता के मंदिर व परिसर का रंग-रोगन का कार्य कराया गया है। बंगाल के मूर्तिकारों के द्वारा मां भगवती की प्रतिमा बनाई गई है। ज्ञात हो कि स्थानीय लोगों द्वारा 1940 में इस माता मेला की शुरुआत हुई थी। जो आज काफी प्रसिद्ध है। बंगाल, बिहार व नेपाल के हजारों श्रद्धालु इस मेले में आकर मंदिर में पूजा करते हैं। श्रद्धालुओं का ऐसा मानना है कि यहां माता का दर्शन कर जो भी मुरादें मांगी जाती है वह अवश्य पूर्ण होती है। वहीं मां भगवती की पूजा करने वाले पुरोहित रामनाथ ¨सह बताते है कि मां की पूजा पौष पूर्णिमा के दिन वेद मंत्रोच्चारण के साथ शुरु की गई। माता भगवती द्वारा भक्तों की मनोकामना पूर्ण हो जाने पर भक्त मां के चरण में फल-फूल व प्रसाद अर्पित करते है। पशु व पक्षियों का बलि का मंत्रोच्चारण होता है, लेकिन इनकी बलि नहीं दी जाती है। मेला में तिलकुट एवं गन्ने की खूब बिक्री होती है। मेला में टावर झूला, नौटंकी, मौत का कुआं, जादू का खेल, चित्रहार आदि आकर्षण के केन्द्र बना हुआहै। कमेटी द्वारा चार दिवसीय इस पूजन कार्यक्रम में दूर-दूर से नाटक मंडली आकर पारंपरिक नृत्य एवं गायन कौशल का प्रदर्शन किया जा रहा है। यह यहां की पुरानी परंपरा है। वहीं मेले की भीड़ को नियंत्रित एवं शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए गलगलिया थानाध्यक्ष एखलाक अहमद पुलिस दलबल के साथ मुस्तैद दिखे। इस मौके पर स्थानीय कुकुरबाघी पंचायत के मुखिया सुदामा पाहन, पूर्व पंसस मणिकांत ¨सह आदि मौजूद थे। वर्षों से चले आ रहे मेले के आयोजन को सफल बनाने में कमेटी के अध्यक्ष मेहेन ¨सह, सचिव गणेश ¨सह व सदस्यगण एवं गलगलिया थानाध्यक्ष एखलाक अहमद सहित पुलिस बल मुस्तैद दिखे।


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