नामांकन में किशगनंज से कन्नी काट गए महारथी
किशनगंज। विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही मौसम की तरह ही माहौल में तल्खी जरूर महस
किशनगंज। विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही मौसम की तरह ही माहौल में तल्खी जरूर महसूस की जाने लगी। लेकिन नामांकन का दौर शुरू होते ही गजब की वीरानगी छाई है। बाहर-बाहर भले ही सरगर्मी दिख रही हो पर अंदरखाने एक प्रकार की खामोशी है। एक तरफ आसपास के जिलों में प्रत्याशियों के नामांकन में तामझाम का माहौल रहा तो किशगनंज में ठीक इसके उलट। यहां लगभग सभी दल मैदान में हैं, बावजूद नामांकन में अपने प्रत्याशी के समर्थन में किसी भी दल के बड़े नेता नहीं पहुंचे। जबकि बगल के पूर्णिया, अररिया और कटिहार में नामांकन में बड़े-बड़े सूरमाओं ने पब्लिक मीटिग भी की है।
अल्पसंख्यक बहुल किशनगंज जिले में चार विधानसभा सीट है। इन चारों सीटों पर कमोवेश एनडीए और महागठबंधन के अलावा लोजपा और एआइएमआइएम जैसी पार्टियां दमखम दिखाने को मैदान में हैं। बात महागठबंधन की करें तो किशनगंज व बहादुरगंज सीट पर कांग्रेस चुनाव लड़ रही है और ठाकुरगंज व कोचाधामन सीट पर राजद। एनडीए में कोचाधामन और ठाकुरगंज सीट पर जदयू के दोनों सिटिग विधायक प्रत्याशी हैं। वहीं किशनगंज से भाजपा और बहादुरगंज से एनडीए यानी विइंपा। इसी तरह लोजपा ठाकुरगंज में और एआइएआइएम सभी चारों सीटों पर मैदान में है। इसके अलावा पीडीए व अन्य दल भी जोर लगा रही है। सभी दलों के प्रत्याशी पर्चा दाखिल कर चुके हैं। राजनीतिक हलके में जो चर्चाएं चल रही है, उसमें हर कोई इसी गुणा भाग में जुटे हैं कि आखिर कौन सी परिस्थिति बनी कि जदयू, भाजपा, राजद और एआइएमआइएम के प्रत्याशियों के नामांकन में सूरमा कन्नी काट गए। जबकि सीमांचल के इस जिले पर तमाम बड़े दलों की निगाह है। चर्चा यह भी चल रही है कि नामांकन में किसी भी दल के बड़े नेता नहीं दिखे। अगल-बगल के जिलों में नामांकन से ही राजनीति के दाव पेंच आजमाए जा रहे हैं लेकिन किशनगंज से महारथी परहेज क्यों रहे हैं।