कार्तिक पूर्णिमा पर रास महोत्सव की तैयारी जोरों पर
किशनगंज । प्रखंड में रास महोत्सव को लेकर तैयारी जोरों पर है। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर प
किशनगंज । प्रखंड में रास महोत्सव को लेकर तैयारी जोरों पर है। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यानी 29 नवंबर को होने वाले इस रास महोत्सव में श्रद्धालु गंगा स्नान कर भगवान कार्तिक की पूजा और आराधना करते हैं। रास महोत्सव को लेकर कुकुरबाघी पंचायत के गलगलियागछ और चुरली पंचायत के झाला गांव में मूर्तिकार मूर्तियों को अंतिम रुप देने में लगे हैं। झाला गांव में विगत 40 वर्षों से प्रतिमा बनाने के काम मे मुिर्त्तकार सुरत लाल मालाकार जुटे हुए हैं। श्रद्धालुओं द्वारा पूजा पंडाल बनाए जा रहे हैं। जहां अष्टजाम, हरे राम संकीर्तन और रास लीलाओं का आयोजन किया जाएगा। बाहर से आए मूर्तिकारों द्वारा राधा कृष्ण भगवान, गौर निताई, बूढ़ी माता, चंदेश्वरी माता,बजरंगबली आदि की प्रतिमा को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसके साथ साथ आयोजन स्थल को भी भव्य रूप से सजाने की तैयारी की जा रही है।
झाला गांव में आयोजित रास महोत्सव कार्यक्रम के संयोजक नंद कुमार झा व श्याम सुंदर झा ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर आयोजित होने वाले इस महोत्सव का विशेष महत्व है। राधा कृष्ण की आठ जोड़ी प्रतिमा एक लकड़ी के बने चाक पर तैयार की जाती है और चाक के साथ ही प्रतिमा रास पर बैठाई जाती है। प्रखंड के दो स्थानों कुकुरबाघी पंचायत के गवालगच्छ व चूरली पंचायत के झाला में इस महोत्सव का आयोजन किया जाता है। इस दिन महिलाएं विभिन्न नदियों में स्नान कर कार्तिक पूर्णिमा पर्व मनाती हैं। सत्यनारायण भगवान के पूजन से यह महोत्सव आरंभ होता है। फिर 24 घंटे का अष्टयाम संकीर्तन के आयोजन के बाद मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमे स्थानीय भाषा के कलाकारों द्वारा रासलीला की प्रस्तुति दी जाती है। इसे देखने नेपाल, बंगाल व इलाके की भारी भीड़ जमा होती है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष भी यह पर्व धूमधाम से मनाने की तैयारी की जा रही है। कार्तिक पूर्णिमा रविवार यानी 29 नवंबर को रास स्थापित कर पूजा-अर्चना आरंभ की जाएगी। इसके लिए मंदिर परिसर को भव्य तरीके से सजाया जा रहा है। इस बाबत कुकुरबाघी के पूर्व मुखिया व आयोजक रवीन्द्र चंद्र सिंह बताते हैं कि हर वर्ष की भांति इस बार भी गलगलियागछ में रासलीला का आयोजन किया जाएगा। नेपाल, पश्चिम बंगाल और आसपास क्षेत्रों के लोग यहां पूजा आराधना करने के लिए आते हैं। लोगों की मान्यता है कि पूजा व मन्नत मांगने पर भगवान कार्तिक सभी की मुरादें पूरी करते हैं। वे बताते हैं कि राधा और श्रीकृष्ण की प्रतिमा को रास चक्र पर स्थापित कर घुमाया जाता है। 29 नवंबर रविवार को वैदिक मंत्र उच्चारण के साथ इस महोत्सव का शुभारंभ किया जाएगा।