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दिल्ली तक है कोचाधामन के दउरा की मांग

किशनगंज : आस्था का महापर्व छठ पूजा की तैयारी में जहां व्रतियों व श्रद्धालु जुट गए हैं। वहीं

By JagranEdited By: Published: Sat, 10 Nov 2018 01:52 AM (IST)Updated: Sat, 10 Nov 2018 01:52 AM (IST)
दिल्ली तक है कोचाधामन के दउरा की मांग
दिल्ली तक है कोचाधामन के दउरा की मांग

किशनगंज : आस्था का महापर्व छठ पूजा की तैयारी में जहां व्रतियों व श्रद्धालु जुट गए हैं। वहीं दउरा, सूप बनाने में जुटे कारीगर भी दिन रात एक किए हुए हैं। जिला मुख्यालय स्थित असफाकउल्लाह खां स्टेडियम के सामने 50 से अधिक कुशल कारीगर बांस के बर्तन बनाने में जुटे हैं। जिले के कोचाधामन प्रखंड के हिम्मतनगर पंचायत के छोटे से गांव अनगढ़ से आए इन कारीगरों के हुनर का कमाल ही है कि इनके बनाए दउरा और सूप की मांग देश की राजधानी दिल्ली तक है। इनके बनाए दउरा की मांग इस कदर है कि छठ पूजा से लगभग दो माह पूर्व से ये लोग गांव से शहर आकर दउरा और सूप बनाने के काम में रात दिन जुटे रहते हैं। इनके बनाए दउरा व सूप खरीदकर पैकार सीमांचल के पूर्णिया, कटिहार, अररिया और किशनगंज, मिथिलांचल के दरभंगा, मधुबनी व समस्तीपुर, पड़ोस के बंगाल से पटना और दिल्ली तक बेचते हैं।

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लगभग दो माह पूर्व से खुले आसमान के नीचे प्लास्टिक टांग कर 24 घंटे में 16-18 घंटे दउरा व सूप बनाते हैं। थोक विक्रेता यानी पैकार इनके द्वारा बनाए गए दउरा व सूप थोक में खरीद लेते हैं। एक साधारण दउरा 60 रुपये से लेकर 110 रुपये तक में बेची जाती है। इस संबंध में कारीगर भदय महतो ने कहा कि हमलोग प्रत्येक वर्ष अपने गांव से छठ पर्व के डेढ़-दो माह पूर्व यहां आकर दउरा बनाने का काम करते हैं। हमलोगों का बनाया हुआ टोकरी सिर्फ किशनगंज जिले में ही नहीं बिकता दूसरे राज्य व जिले में भी पैकार लेकर जाते हैं। दिल्ली में छोटे-छोटे दउरा की मांग रहती है। वे बताते हैं कि दिन-रात कड़ी मेहनत कर के एक दिन में एक कारीगर छह से सात दउरा बना लेता है। वहीं राजा महतो ने बताया कि हमलोग कई वर्षों से इसी काम से जुड़े हुए हैं। सरकार की ओर से हमारे लिए कोई मदद या रोजगार अब तक नहीं मिला है। दउरा बनाकर ही अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। छठ में दउरा की मांग ज्यादा होती है, इस वजह से इसी सीजन में हमलोगों को आमदनी ठीक-ठाक हो जाती है।


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