अभी से मिलने लगे मूर्तियों के आर्डर, कारीगर तल्लीन
आगामी पांच फरवरी को सरस्वती पूजा है। इसको लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में चहल-पहल तेज हो गई है।
संवाद सूत्र, टेढ़ागाछ (किशनगंज) : आगामी पांच फरवरी को सरस्वती पूजा है। इसको लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में चहल-पहल तेज हो गई है। मूर्तिकार मूर्तियों को गढ़ने में अपना श्रेष्ठतम योगदान देने के लिए जी-जान से अभी से जुटे हुए हैं। मूर्तियों को नई-नई भाव भंगिमाओं के साथ करीने से गढ़ने का कार्य परवान पर है। मिट्टी की जीवंत मूर्तियां तैयार करने में कलाकार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं।
प्रतिमा को चार चरणों में तैयार किया जाता है। पहले चरण में लकड़ी और पुआल से मूर्तियों का ढांचा तैयार किया जाता है। दूसरे चरण में मिट्टी से मूर्तियों का माडल एवं भाव-भंगिमा बनाई जाती है। तीसरे चरण में रंग-रोगन कार्य और चौथे चरण में साज-सज्जा से अंतिम रूप दिया जाता है। हालांकि, मूर्तियों को बनाने और बेचने का कार्य इस इलाके में वर्षों से चल रहा है। लेकिन मौजूदा दौर में मूर्तिकार ज्यादा खुश नजर नहीं आते हैं क्योंकि बढ़ते संक्रमण के कारण इनके व्यवसाय पर असर पड़ रहा है।
चिल्हनियां पंचायत के सुहिया हाट स्थित कलाकार परमेश्वर प्रसाद साह एवं जगदीश प्रसाद साह कहते हैं कि मूर्ति बनाने में ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है पर उस अनुपात में मुनाफा नहीं होता है। उन्होंने कहा कि आजकल लोग स्टाइलिस्ट आकर्षक मूर्तियां चाहते हैं। ज्यादा मेहनत कर नए अंदाज में मूर्तियां गढ़नी पड़ती हैं। ऊपर से रंग और श्रृंगार प्रसाधनों की बढ़ती कीमत से औसतन कमाई घटी है। हालांकि एक सुखद बात है कि मूर्तियों की बिक्री कई गुना बढ़ गई है जिसके चलते दाल-रोटी के लिए कमाई हो ही जाती है। परमेश्वर कहते हैं कि इस करण हम अपनी पत्नी के साथ मिलकर मूर्ति बनाते हैं। पिछले वर्ष 51 मूर्तियां बनाकर बेचे थे। इस बार 60 मूर्ति बनाने का लक्ष्य है जिसके लिए अभी से तैयारी शुरू कर दी है। उन्होंने बताया कि एक हजार से पांच हजार तक की मूर्ति बना रहे हैं। एक दर्जन से ज्यादा मूर्ति का आर्डर अभी से मिल चुका है।