फूलों की खेती कर तकदीर संवार रहे सुशील
किशनगंज। इंटर पास करने के बाद बेरोजगारी का दंश झेल रहे सुशील के घर की माली हालत अच्छी नहीं थी। घर म
किशनगंज। इंटर पास करने के बाद बेरोजगारी का दंश झेल रहे सुशील के घर की माली हालत अच्छी नहीं थी। घर में आय के स्रोत नहीं रहने के कारण उसने औरों की तरह मजदूरी के लिए दिल्ली, पंजाब का रुख किया। दो महीने कमाई के बाद घर वापस आते तो एक महीने बैठ कर खाने पर सारे पैसे खत्म हो जाते। ऐसे में फिर बाहर जाना मजबूरी बन जाती थी। इस बीच सुशील के जीवन में कृषि विज्ञान केंद्र तारणहार बनकर आया। एक वर्ष पूर्व कृषि विज्ञान केंद्र से उसने माली का प्रशिक्षण लिया। जो उसके लिए फायदेमंद साबित हुआ। आज वे खुद फूलों की खेती कर अपने जीवन को महका रहे हैं। कृषि विज्ञान केंद्र में 45 दिनों का प्रशिक्षण लेने के बाद फूल की खेती कर फूल डेकोरेशन का काम शुरू किया। अभी वे अपने गांव कोचाधामन प्रखंड के शीतलपुर में फूलों की खेती के साथ डेकोरेशन का काम कर रहे हैं। सुशील ने बताया कि उद्यान वैज्ञानिक डॉ. हेमंत कुमार के प्रशिक्षण की बदौलत आज उनकी तकदीर बदल गई है। आज वे खुद स्वरोजगार कर अन्य युवाओं को भी रोजगार से जोड़ रहे हैं। विभिन्न रंग बिरंगे फूलों से महक रही बगिया
सुशील की बगिया में विभिन्न रंग बिरंगे फूल आकर्षण का केंद्र बना है। इनमें गेंदा, बेली, चमेली, गुलाब और जसमीन सहित कई प्रकार के फूल वे उगाते हैं। इन फूलों की खेती कर बड़ी सावधानी पूर्वक सुरक्षित रखने की प्रक्रिया की जाती है। जिससे कि फूलों की ताजगी बनी रहे। इसके बाद आर्डर के मुताबिक फूलों से गुलदस्ता और बुके बनाए जाते हैं। इनकी कीमत खुले बाजार में 150 रूपये से लेकर 350 रूपये तक है। इसके अलावा शादी-विवाह और धार्मिक कार्य स्थलों पर फूलों के सजावट के लिए आर्डर लेते हैं। वे कहते हैं कि इस समय प्रतिदिन इनकी आमदनी आठ सौ से लेकर एक हजार रूपये तक हो जाती है। पहले कोलकता से फूल मंगाकर सजावट का काम होता था।