संतान की लंबी उम्र के लिए 32 घंटे का निर्जला व्रत रखेंगी माताएं
संवाद सहयोगी किशनगंज परिवार में वंश बढ़ोतरी के लिए महिलाएं जिउतिया व्रत रहती हैं। इस बार
संवाद सहयोगी, किशनगंज : परिवार में वंश बढ़ोतरी के लिए महिलाएं जिउतिया व्रत रहती हैं। इस बार यह व्रत 10 सितंबर को पड़ रहा है। महिलाएं संतान के जीवन में सुख और समृद्धि के साथ दीर्घायु जीवन की प्राप्ति के लिए कामना करती हैं। प्रत्येक माता की अभिलाषा होती है कि परिवार में पुत्रों की संख्या बढ़े और उन्हें लंबी उम्र की प्राप्ति हो।
यह जानकारी सोमवार को पंडित जगन्नाथ झा ने दी। उन्होंने बताया कि तीन दिवसीय जिउतिया पर्व की शुरुआत नौ सितंबर यानी कल से शुरु होकर 11 सितंबर को समापन होगा। सर्वप्रथम बुधवार को रात्रि 10 बजे से शुरू होगा। रात्रि बेला पितर को भोजन का भोग लगाया जाएगा। साथ ही नहाय-खाय की रात्रि में खुले स्थान पर पहुंचकर चारों दिशाओं में भोजन रखने की परंपरा है। नहाय -खाय की प्रक्रिया बुधवार की रात्रि 10 बजे से पहले ही पूरा करना होगा। दूसरे दिन यानी गुरुवार को माताएं दिन रात का निर्जला व्रत रखेंगी। इसके उपरांत शुक्रवार को व्रत का पारण सूर्योदय होने पर किया जाएगा। इसलिए देखा जाए तो यह व्रत कुल 32 घंटे का होगा।
जिउतिया व्रत की कथा महाभारत काल से चली आ रही है। ऐसी मान्यता है कि महाभारत युद्ध में अपने पिता की मृत्यु से अश्वस्थामा गुस्से में आ गए। उन्होंने पांडव के शिविर में घुसकर द्रौपदी के पांचों संतानों को सोए हुए अवस्था में पांडव समझकर मार डाला। इसके बाद अश्वस्थामा ने उत्तरा के गर्भ में पल रहे संतान को मारने के लिए ब्रह्मास्त्र चला दिए, लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने अपने सभी पुण्यों का फल देकर उत्तरा के गर्भ में पल रहे संतान को पुन: जीवित कर दिए। मां के गर्भ में मरकर जीवित होने के कारण उसका नाम जीवित्पुत्रिका पड़ गया। जो बड़ा होकर राजा परीक्षित बना। उसी समय से महिलाएं अपने पुत्र की लंबी उम्र की कामना के लिए जिउतिया व्रत करती हैं।