जलदान: सन्हौली मोइन में बसा नगर, राजेंद्र सरोवर सूख रहा
खगड़िया। खगड़िया पानी का इलाका है। एक दशक पहले शहर और आसपास कई जलश्रोत थे। तालाब, पोखर और मोइन-जलकर इस
खगड़िया। खगड़िया पानी का इलाका है। एक दशक पहले शहर और आसपास कई जलश्रोत थे। तालाब, पोखर और मोइन-जलकर इसे एक अलग रूप प्रदान करता था। तालाब-पोखर, मोइन-जलकर शहर को समृद्ध बनाता था। कहा तो यह भी जाता है कि दशकों पहले सोन्हौली मोइन के रास्ते पानी का जहाज खगड़िया तक पहुंचता था।
खैर, आज अधिकांश जलश्रोत अस्तित्व खो चुका है अथवा खोने के कगार पर है। खगड़िया रेलवे स्टेशन के उत्तरी भाग में अवस्थित विख्यात सन्हौली मोइन एक समय सालोंभर लबालब पानी से भरा रहता था। लेकिन, रखरखाव के अभाव एवं बारिश की कमी के चलते मोइन अब सूखने लगा है।
मोइन का आधा हिस्सा लगभग सूख गया है। मोइन के सूखते चले जाने पर भू-माफिया की नजर इस पर पड़ी। और मोइन की जमीन की बिक्री शुरू हो गई। अब यहां कंक्रीट का जंगल विस्तार पा चुका है। वर्तमान में सन्हौली मोइन पर एक नगर बस गया है। स्थिति यही रही, तो कुछेक वर्ष में मोइन के पूरे हिस्से में नगर बसा नजर आएगा। वहीं जिला मुख्यालय स्थित पांच एकड़ से अधिक भू-भाग में फैला राजेन्द्र सरोवर उद्यान भी सूखने के कागार पर है। राजेन्द्र सरोवर में जहां पहले सालों भर पानी लबालब रहता था, वहीं अब गर्मी के मौसम में पोखर के सिर्फ मध्य में पानी रहता है। सरोवर के चारों तरफ का किनारा विरान एवं उदास नजर आ रहा है। सन्हौली पोखर पर सन्हौली बड़ी दुर्गा ट्रस्ट का मालिकाना हक है। तीन वर्ष पूर्व ट्रस्ट के द्वारा पोखर का गाद निकालने का प्रयास किया गया था, परंतु ट्रस्ट की आर्थिक स्थिति जर्जर रहने के कारण पोखर के गाद निकालने का कार्य भी अधूरा ही रह गया।
कोट
' तालाब-पोखर आदि वाटर टेबल मैंटेन रखता है। ताल-तलैया से अतिक्रमण हटाना होगा। उसे पुराने स्वरूप में लौटाना है। ताकि पानी पहले की तरह रहे।'
= अनिरुद्ध कुमार, डीएम, खगड़िया। == ====