पर्यटन के रास्ते में सरकारी उदासीनता है बाधक
नदियों के नैहर में पर्यटन की असीम संभावना है। नदियों के किनारे यहां के धार्मिक आध्यात्मिक स्थल बरबस ही आकर्षित करते हैं। लेकिन ये पर्यटन के नक्शे से लगभग बाहर हैं।
जागरण संवाददाता, खगड़िया : नदियों के नैहर में पर्यटन की असीम संभावना है। नदियों के किनारे यहां के धार्मिक, आध्यात्मिक स्थल बरबस ही आकर्षित करते हैं। लेकिन ये पर्यटन के नक्शे से लगभग बाहर हैं। अगर इन स्थलों का समुचित विकास हो तो खगड़िया जिला भी पर्यटन के नक्शे पर उभरकर सामने आएगा। इसको लेकर खगड़िया सांसद चौधरी महबूब अली कैसर और परबत्ता विधायक डा. संजीव कुमार खासे गंभीर है। लेकिन अब तक अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आया है।
बागमती नदी तट पर स्थित प्रसिद्ध शक्तिपीठ मां कात्यायनी मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक है। यहां वर्ष भर श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है। लेकिन मां कात्यायनी स्थान अभी तक सड़क मार्ग से सीधे नहीं जुड़ सका है। गंगा किनारे अवस्थित भरतखंड स्थित मुगल काल में बना बाबू बैरम सिंह का भव्य महल इतिहास के पन्ने में दर्ज है। इसका अपना ऐतिहासिक महत्व है। लेकिन यह धीरे-धीरे खंडहर में बदलते जा रहा है। संरक्षण के अभाव में यह अस्तित्व खोते जा रहा है। कवि भागीरथी ने इस महल को देखकर लिखा- राख सुरखी, की कबहुं न बांह मुरखी। मतलब ईंटों को जोड़ने वाले राख व सुरखी कभी नहीं गिर सकता। इसे 52 कोठरी 53 द्वार के नाम से भी जाना जाता है।
बूढ़ी गंडक तट पर स्थित डा. रामनाथ अघोरी स्थान प्रसिद्ध तंत्र स्थल है। यह स्थान प्रसिद्ध तंत्र साधक ओघर डा. रामनाथ अघोरी से जुड़ा हुआ है। यहां भारत समेत नेपाल और भुटान से तंत्र-मंत्र साधक आते हैं। चैती नवरात्र, शारदीय नवरात्र पर यहां दूर-दूर से साधक आकर साधना करते हैं। यह स्थान खगड़िया शहर के वार्ड नंबर 24 में है। एनएच-31 के किनारे है। खगड़िया नगर परिषद की तरफ से यहां कई कार्य किए गए हैं। फिर भी यह पर्यटन स्थल के रूप में विकसित नहीं हुआ है। बूढ़ी गंडक के कटाव का खतरा यहां मंडरता रहता है। जिसका स्थाई समाधान नहीं निकला है।