कुटीर उद्योग के ताना-बाना से हो रहा गरीबी उन्मूलन
लोग सरकारी नौकरी के पीछे भागते हैं जबकि उसकी एक तय सीमा है। खगड़िया में कोरोना काल में आर्थिक स्वावलंबन और गरीबी उन्मूलन की दिशा में आदि इंटरप्राइजेज ने महत्वपूर्ण कार्य किया है।
जागरण संवाददाता, खगड़िया: लोग सरकारी नौकरी के पीछे भागते हैं, जबकि उसकी एक तय सीमा है। खगड़िया में कोरोना काल में आर्थिक स्वावलंबन और गरीबी उन्मूलन की दिशा में आदि इंटरप्राइजेज ने महत्वपूर्ण कार्य किया है। आदि इंटरप्राइजेज के रीढ़ मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता डा. विवेकानंद, इंजीनियर धर्मेंद्र और चंद्रभूषण कुमार उर्फ कारेराल हैं। आदि इंटर प्राइजेज आज रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। चंद्रभूषण कुमार उर्फ कारेलाल ने बताया कि 2018 में आदि इंटरप्राइजेज के नाम से संस्था गठित कर रोजगार सृजन का कार्य आरंभ किया गया। आवास बोर्ड खगड़िया इसका मुख्यालय है। यहां बरी, सत्तू, बेसन समेत दूध-पेड़ा आदि के माध्यम से आर्थिक स्वावलंबन की दिशा में कार्य किया जा रहा है। यहां कुटीर उद्योग के सहारे आत्मनिर्भर बनने के गुर सिखाए जाते हैं। 2020 में लाकडाउन के दौरान बेगूसराय जिलाधिकारी ने प्रवासी मजदूरों को स्वावलंबी बनाने के लिए प्रशिक्षण देने को लेकर चंद्रभूषण कुमार उर्फ कारे लाल का बुलाया भी था। आज आदि इंटरप्राइजेज के माध्यम से पांच दर्जन से अधिक लोग रोजगार कर रहे हैं।
इंजीनियर धर्मेंद्र कहते हैं- स्वेदशी और स्वावलंबन हमारा मूलमंत्र है। कोरोना काल में मास्क, सैनिटाइजर, हार्पिक और फिनायल बनाने का काम भी आदि इंटरप्राइजेज ने शुरू किया। जिससे बेरोजगारों को रोजगार मिला है। कोरोना काल में घर वापस आए परदेसियों को उनके घर में दो वक्त के खाने का प्रबंध हो सका।
इंजीनियर धर्मेंद्र बताते हैं कि पशुपालकों का पहले शोषण किया जाता था। उनसे कम दरों पर दूध खरीदा जाता था और अपने मर्जी के अनुसार उन्हें दो महीने चार महीने देरी से पैसे दिए जाते थे। कई बार तो पैसे मिलते भी नहीं थे। जिसको लेकर शहर के आवास बोर्ड में पशुपालकों से दूध उचित मूल्य पर लेना शुरू किया गया है। आज करीब 200 लीटर दूध इन पशुपालकों से इकट्ठा किया जाता है। जिसे पैकेजिग कर बाजार में बेचा जाता है। वहीं पशुपालकों को महीने के एक तारीख को दूध का उचित मूल्य मिल जाता है। आदि इंटरप्राइजेज में अब कपड़े, जूते चप्पल भी तैयार किए जा रहे हैं।
चंद्रभूषण कुमार उर्फ कारे लाल लोगों को कम लागत में अधिक मुनाफा के गुर सिखा रहे हैं। वह बताते हैं कि गौछारी के धर्मेंद्र कुमार चौरसिया दिल्ली में जूते चप्पल बनाते थे। लेकिन लाकडाउन में काम छूटने के बाद घर आ गए और अब खगड़िया में ही उच्च क्वालिटी के जूते और चप्पल बना रहे हैं।