बड़ी ख्याति है चैती दुर्गा मंदिर इग्लिश-बन्नी की
खगड़िया। महेशखूंट थाना क्षेत्र के इंग्लिश- बन्नी गांव में बूढ़ी गंडक नदी के किनारे अवस्थित च
खगड़िया। महेशखूंट थाना क्षेत्र के इंग्लिश- बन्नी गांव में बूढ़ी गंडक नदी के किनारे अवस्थित चैती दुर्गा मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक है। यहां महेशखूंट, खगड़िया समेत बाहर से भी श्रद्धालु आते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार आज तक कोई भी श्रद्धालु खाली हाथ नहीं लौटा है। मंदिर की स्थापना
1952 ई में हुई। स्थानीय निवासी स्मृतिशेष फौदार साह ने मंदिर का निर्माण कराया था। जो आज सार्वजनिक दुर्गा मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। बताया जाता है कि फौदार साह एक बार घोर विपत्ति में फंस गए थे। माता का सुमरन करने से विपत्ति से बाहर निकले। इसके बाद उन्होंने अपने दरबाजा पर ही मंदिर का निर्माण करा दिया। धीरे, धीरे मंदिर की ख्याति बढ़ती गई। मनोकामना पूर्ण करने को लेकर यह मंदिर प्रसिद्ध हो गया। मनोकामना पूर्ण होने पर श्रद्धालु चैती नवरात्र में मां की प्रतिमा का निर्माण कराते हैं। इस वर्ष के मूर्तिदाता मणिकांत साह हैं। जिनकी मनोकामना माता ने पूरी कर दी।
मंदिर के विकास को लेकर एक कमेटी बनाई गई है। जिसके अध्यक्ष गंगा शर्मा, सचिव मनोज कुमार चौधरी व व्यवस्थापक अजय गुप्ता हैं। यहां तो प्रति वर्ष भव्य मेला का आयोजन किया जाता था। लेकिन, इस वर्ष कोरोना को लेकर मेला का आयोजन नहीं किया जाएगा। मंदिर प्रबंधन समिति के लोगों ने कोरोना गाइड लाइन के पालन की अपील की है। कोट
20 अप्रैल की रात देवी की प्राण-प्रतिष्ठा होगी। 22- 23 को पूजा अर्चना के लिए मंदिर का पट खुल जाएगा। 24 की सुबह प्रतिमा विसर्जन होगा। श्रद्धालुओं से अपील है कि कोरोना नियमों का पालन करें।
उपेंद्र झा, पुजारी, चैती दुर्गा मंदिर, इंग्लिश-बन्नी।