कोसी प्रोजेक्ट की जमीन बेच रहे भूमाफिया
कभी सिचाई विभाग का अनुमंडल स्तरीय कार्यालय बेलदौर हुआ करता था। 1970-71 में सिचाई विभाग की ओर से कई एकड़ जमीन को अधिग्रहण कर चहारदीवारी निर्माण के संग अतिथिशाला और कर्मियों के रहने को लेकर आवास बनाया गया।
खगड़िया। कभी सिचाई विभाग का अनुमंडल स्तरीय कार्यालय बेलदौर हुआ करता था। 1970-71 में सिचाई विभाग की ओर से कई एकड़ जमीन को अधिग्रहण कर चहारदीवारी निर्माण के संग अतिथिशाला और कर्मियों के रहने को लेकर आवास बनाया गया, लेकिन अधिग्रहित जमीन का दस्तावेज गायब हो जाने से क्षेत्र में सनसनी फैल गई है। फिलहाल अधिग्रहित जमीन पर भू-माफिया की गिद्ध ²ष्टि है। उक्त जमीन की धड़ल्ले से बिक्री की जा रही है। उक्त जमीन पर भू- माफिया के द्वारा बहुमंजिली इमारत खड़ी की जा रही है।
1970 के दशक में किसानों को सस्ती सिचाई उपलब्ध कराने को लेकर सिचाई विभाग के द्वारा प्रखंड क्षेत्र में नहरों का जाल बिछाया गया था। इसके मॉनिटरिग को लेकर प्रखंड मुख्यालय से सटे उत्तर दिशा में कई एकड़ जमीन को अधिग्रहित कर कोसी प्रोजेक्ट के अनुमंडल स्तरीय कार्यालय खोलते हुए अतिथिशाला, गोदाम, कर्मियों के रहने के लिए आवास आदि का निर्माण कराया गया।
लेकिन, 1987 की बाढ़ के बाद कार्यालय का स्थानांतरण बेलदौर से मुरलीगंज, मधेपुरा कर दिया गया। इसके बाद भू-माफिया के द्वारा कोसी प्रोजेक्ट की जमीन को हड़पने का दौर शुरू हुआ, जो थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। एक दशक पूर्व सिचाई विभाग के गोदाम को धीरे- धीरे तोड़कर सारे ईंट गायब कर दिए गए। उसके बाद अधिग्रहित जमीन की बिक्री आरंभ हुई। भू-माफिया ने अफवाह उड़ाया कि अब कोसी प्रोजेक्ट बंद हो गया है। अधिकृत जमीन का मुआवजा सरकार से नहीं लिया गया है। विभाग के द्वारा इसको लेकर किसी तरह की कार्रवाई नहीं किए जाने से भू- माफिया का मनोबल सातवें आसमान पर है।
सिचाई विभाग मुरलीगंज, डिवीजन त्रिवेणीगंज के कार्यपालक अभियंता चंद्रमणि बैठा ने बताया कि 1970-71 में जमीन का अधिग्रहण हुआ था। उस दौरान डिवीजन सहरसा हुआ करता था। अब त्रिवेणीगंज डिवीजन है। अधिग्रहित जमीन के दस्तावेज डिवीजन में मौजूद नहीं है। कोसी प्रोजेक्ट की जमीन की खरीद-फरोख्त को लेकर जांच कराई जा रही है। आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।