एकमात्र चतुर्थ वर्गीय लिपिक के भरोसे चल रहा कार्यालय
खगडि़या। पीएचईडी के जिम्मे लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना है। यहां के पानी में आर्सेनिक और आयरन क
खगडि़या। पीएचईडी के जिम्मे लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना है। यहां के पानी में आर्सेनिक और आयरन की मात्रा जगह-जगह मानक से अत्यधिक है। लेकिन आज की तारीख में यह विभाग खुद मसीहा की तलाश में है।
ऐसा महेशखूंट कार्तिक स्थान परिसर के निकट अवस्थित लोक स्वास्थ्य अवर प्रमंडल के सहायक अभियंता गोगरी का कार्यालय देखकर कहा जा सकता है। शुक्रवार को एक बजे दिन में जब इस कार्यालय 'दैनिक जागरण' की टीम पहुंची, तो यहां की व्यवस्था की पोल खुलकर रह गई।
कार्यालय परिसर के बाहर अथवा भीतर कहीं भी एक बोर्ड तक लगा हुआ नहीं दिखा। मालूम हो कि कार्यालय को अपना भवन है।हद तो तब हुई जब सहायक अभियंता के कार्यालय के प्रवेश द्वार पर भी पदनाम का बोर्ड तक नहीं देखा गया। अंदर साहब के कार्यालय परिसर में चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी दिलीप कुमार निगरानी कर रहे थे। मारे गर्मी के उनका हाल बेहाल था। चारों ओर गंदगी पसरी हुई थी। भवन जर्जर होकर खंडहर में तब्दील होते जा रहा है। साहब का कमरा देखकर लग रहा था कि 'कबाड़खाना' में पहुंच गए हों। कमरे में तीन पुराना आलमीरा था। यहां कचरा जमा था। एक टेबुल, कुर्सी तक नहीं थी। शौचालय की भी बदतर स्थिति दिखी। कहने का मतलब दिन के एक बजे इस कार्यालय में सिर्फ एक चतुर्थ वर्गीय कर्मी था। स्थिति का सहज अंदाजा लगा सकते हैं।
इस संदर्भ में विभाग के कार्यपालक अभियंता राजीव कुमार ने बताया कि, उक्त कार्यालय के लोगों को व्यवस्था देखनी है। फिर भी वहां का निरीक्षण किया जाएगा। निरीक्षण बाद आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।