अशांत अमनी में बहाई सछ्वाव और सौहार्द की बयार
बागमती किनारे बसे अमनी पंचायत के पूर्व मुखिया प्रमोद कुमार सिंह सामाजिक सछ्वाव के प्रणेता हैं। वर्षों तक अशांति की आग में जल रहे अमनी में इन्होंने आपसी सछ्वाव की जो राग अलापी उससे आज यहां शांति की बयार बह रही है।
चंदन चौहान, जागरण संवाददाता, खगड़िया: बागमती किनारे बसे अमनी पंचायत के पूर्व मुखिया प्रमोद कुमार सिंह सामाजिक सछ्वाव के प्रणेता हैं। वर्षों तक अशांति की आग में जल रहे अमनी में इन्होंने आपसी सछ्वाव की जो राग अलापी, उससे आज यहां शांति की बयार बह रही है। प्रमोद कुमार सिंह ने 2001 से 2016 तक पूरे अमनी पंचायत का कायाकल्प कर दिया। सछ्वाव की इतनी लंबी लकीर खींच डाली कि खून की होली की जगह रंगों के फुहार बरसने लगे। अमनी पंचायत एक समय नक्सलियों का गढ़ हुआ करता था। 1978 से 2001 तक दो दर्जनों से अधिक लोगों के खून से अमनी की धरती लहूलुहान हो चुकी थी। यहां भूमि विवाद में प्रत्येक वर्ष दो से तीन हत्या आम बात हो गई थी। लोग एक मुहल्ले से दूसरे मुहल्ले दिन में भी नहीं जाते थे। 2001 में पहली बार अमनी पंचायत की मुखिया के पद पर निर्वाचित होने के बाद प्रमोद कुमार सिंह ने सर्वप्रथम पंचायत में आपसी सौहार्द और सछ्वाव को जगह दी। पंचायत में होने वाले रंजिश की मूल वजह पता किया। और उस पर काम करना शुरू किया। प्रमोद कुमार सिंह बताते हैं कि यहां दो पक्ष हुआ करते थे। एक पक्ष जमीन का मालिक और दूसरा पक्ष बंटाइदार हुआ करते थे। जिनमें जमीन को लेकर विवाद खड़ी होती थी। इस विवाद को खत्म करने के लिए दोनों के बीच समझौता कराया गया। जिससे दोनों को फायदे हुए। धीरे धीरे भूमि विवाद का मामला कम होने लगा और आपसी रंजिश खत्म हो गए। जिसके बाद पंचायत के लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाया जाने लगा। लोग जागरूक होने लगे। प्रमोद कुमार सिंह अमनी पंचायत के 15 वर्ष लगातार तीन बार मुखिया रहे। इस दौरान उन्होंने पंचायत में सछ्वाव को कायम करने के लिए 71 सदस्यीय न्याय समिति का गठन किया। अमनी पंचायत में 10 वार्ड हैं। प्रत्येक वार्ड से सात सदस्यों को जोड़ा गया। और इन वार्डों में होने वाले विवादों का निपटारा इन 71 सदस्यों की न्याय समिति टीम प्रत्येक रविवार को करती थी। आज अमनी पंचायत में 12:00 बजे रात को भी लोग एक दूसरे के घर बेफिक्र होकर जाते हैं। 18 हत्या आरोपियों का कराया आत्मसमर्पण
2004 में प्रमोद कुमार सिंह ने 18 हत्या आरोपियों का आत्मसमर्पण तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अजीत जोय और डीएसपी इरशाद अहमद खान के समक्ष कराया था। प्रमोद कुमार सिंह को जिला अधिकारी के द्वारा अब तक तीन बार 2004, 2008 और 2014, राज्य स्तर पर दो बार 2004 में राज्यपाल और 2012 में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा पंचायत में बेहतर कार्य के लिए सम्मानित किया गया है। डेढ़ सौ लोगों ने मोड़ दी बागमती की धारा
2011 में जलस्तर के बढ़ने के कारण बागमती नदी उफान पर थी। जिसके कारण सिमराहा के समीप बांध का कटाव होने लगा था। और उसे तत्काल रोकने की जरूरत थी। जब तक प्रशासन के लोग आते तब तक बहुत देर हो जाता। जिसको देखते हुए गांव के लोगों को इकट्ठा किया गया। पंचायत के 150 से अधिक लोगों ने खुद से मिट्टी काटकर बोरियों में भर- भर कर बांध के कटाव को तत्काल रोक दिया। उसके बाद से बागमती की धारा ही मुड़ गई। जन सहयोग से खरीदे एक बीघा छह कट्ठा जमीन, बसाया 46 परिवार
अमनी के पूर्व मुखिया प्रमोद कुमार सिंह ने पंचायत में सछ्वाव के साथ सिर्फ शांति ही कायम नहीं किया बल्कि विकास की गंगा चारों तरफ बहा दी। भूमिहीन 46 परिवारों को जन सहयोग से एक बीघा छह कट्ठा जमीन खरीद कर हियादतपुर में बसाने का काम किया। 2001 से 2006 तक विधवाओं और छात्रों को 200 रुपये प्रतिमाह पेंशन दिया। 2006 के बाद सरकार ने विधवाओं के लिए पेंशन योजना चलाई। 2001 से पहले पंचायत में मात्र दो विद्यालय हुआ करते थे। 15 वर्षों में अमनी पंचायत में कुल पांच विद्यालय बनवाए गए। वर्तमान में यहां दो उच्च विद्यालय, दो मध्य विद्यालय और चार प्राथमिक विद्यालय अवस्थित है।