नमो देव्यै महा देव्यै: गांव की गलियों से निकल कर बनाई अपनी पहचान
खगड़िया। कहते हैं कि गंगा जब उफनती हैं तो कितने के अरमान उसकी रेत में बह जाते हैं।
खगड़िया। कहते हैं कि गंगा जब उफनती हैं, तो कितने के अरमान उसकी रेत में बह जाते हैं। लेकिन उस रेत से जो सीप निकलता है, तो वह अपराजिता का रूप ले लेता है। जिले के परबत्ता प्रखंड की गलियों से निकल कर बिहार का नेतृत्व करने वाली डुमरिया खुर्द के किसान राजेश कुमार राय की बेटी अपराजिता ने देश के पटल पर अपनी कलात्मक बल्लेबाजी का लोहा मनवाया है। आज महिला क्रिकेट में अपराजिता किसी परिचय की मोहताज नहीं है। अपराजिता की दिली इच्छा है कि वह आगे चलकर देश का नेतृत्व करें। जिसके लिए वह जी-तोड़ मेहनत कर रही हैं। अपराजिता बताती है कि वह बचपन में अपने भाइयों के साथ गांव की गलियों में क्रिकेट खेला करती थी। धीरे- धीरे क्रिकेट का नशा सा चढ़ गया। लेकिन गांव में एक लड़की के लिए क्रिकेट खेलना और उसे अपनी कैरियर बनाना मुश्किल दिखने लगा। 10वीं पास करने के बाद बेगूसराय चली गई। जहां श्रवण अर्थ एकेडमी में क्रिकेट का प्रशिक्षण लेने लगी। वह बताती है कि पहली बार एसजीएफआइ स्कूली गेम्स में चयनित होने के बाद इंदौर खेलने गई। जहां तीन मैच खेली। जिसमें एक मैच में 30 और दूसरे में 50 रनों की पारी खेली। वहीं तीसरी मैच में बेहतरीन आफ स्पिन गेंदबाजी का प्रदर्शन किया। मालूम हो कि अपराजिता आलराउंडर है। जोनल खेलने के बाद 2018 में अंडर 19 में जबलपुर के लिए चयनित हुई। लेकिन चोट लगने के कारण मैच में भाग नहीं ले सकी। जिसके बाद 2020 - 21 में बिहार की तरफ से सीनियर क्रिकेट मैच खेलने कर्नाटक गई। जहां देश के सभी राज्यों की टीमों ने भाग लिया था। वहां शानदार पारी खेली। अपराजिता बताती है कि आज इतने कम समय में नेशनल तक पहुंच पाने में श्रवण अर्थ एकेडमी का सबसे बड़ा योगदान है। डुमरिया खुर्द के चिकित्सक डा. पुष्पा और डा. अविनाश सहित बिशौनी के मुकेश कुमार मिश्र कहते हैं कि अपराजिता अंतरराष्ट्रीय मैच खेले यह दिली इच्छा है।