शक्ति रुपेण संस्थिता ::: तेमथा राका दुर्गा मंदिर से कोई खाली हाथ नहीं लौटा है
खगड़िया। तेमथा राका दुर्गा मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक है। यहां मुंगेर और भागलपुर जिले स
खगड़िया। तेमथा राका दुर्गा मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक है। यहां मुंगेर और भागलपुर जिले से भी श्रद्धालु आकर माथा टेकते हैं। मां के दरबार से आज तक कोई भक्त खाली हाथ नहीं लौटे हैं। यहां शारदीय नवरात्र में मां की 10 भूजी स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है। मंदिर का इतिहास
1920 ई के आसपास स्थानीय लोग जब सतखुट्टी-नयागांव से मां दुर्गा का दर्शन कर वापस लौट रहे थे, तो उनके मन में गांव में दुर्गा मंदिर की स्थापना का विचार आया। 1921 में तेमथा राका में ईंट- खपरैल का मंदिर बना 10 भुजी दुर्गा मां की पूजा अर्चना शुरू की गई। मंदिर की विशेषताएं
= गंगा कटाव में 1978 ई में पुराना मंदिर विलीन हो गया।
= इसके बाद परबत्ता प्रखंड मुख्यालय के समीप तेमथा राका गांव बसा। जहां ग्रामीणों द्वारा खर- फूस का मंदिर बना मां की पूजा अर्चना शुरू की गई।
= 1980 ई में यहां भव्य मंदिर बनाया गया।
= मां की असीम कृपा से आज तक सभी की मनोरथ पूरी होती रही है।
= यहां एक ही परिसर में काली मंदिर, भगवती मंदिर, विषहरी मंदिर, शिव मंदिर है।
= मंदिर दक्षिणी रूख का है।
= शारदीय नवरात्र पर दूर-दूर से साधक आते हैं।
= यहां मां की प्रतिमा के विसर्जन के समय श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है। ' पूजा-अर्चना में सादगी और स्वच्छता का ख्याल रखा जाता है। कोरोना गाइड लाइन का अक्षरश: पालन किया जाएगा। कोई बड़ा सांस्कृतिक आयोजन नहीं होगा। भक्ति जागरण होगा।'संजय कुमार सिंह, मेला मालिक ' मां में असीम शक्ति है। मां भक्तों का कष्ट हरती है। मां सभी कष्टों को दूर कर श्रद्धालुओं की मन्नतें पूरी करती हैं। कोई खाली हाथ आज तक नहीं लौटे हैं।'
मार्तण्ड मिश्र, पंडित