यह सदर अस्पताल है, गंदगी से मत घबराइए..
खगड़िया को देश के आकांक्षी जिलों में पहला स्थान मिला है। जिसको लेकर जिले के विकास के लिए नीति आयोग द्वारा 10 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि दी जाएगी।
जागरण संवाददाता, खगड़िया: खगड़िया को देश के आकांक्षी जिलों में पहला स्थान मिला है। जिसको लेकर जिले के विकास के लिए नीति आयोग द्वारा 10 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि दी जाएगी।
सदर अस्पताल में बीते पांच वर्षों के दौरान कई बेहतर कार्य हुए हैं। लेकिन कई समस्याएं आज भी बरकरार है। जिससे सदर अस्पताल में आने वाले मरीज ठीक होने की जगह बीमार पड़ रहे हैं। अस्पताल के चारों तरफ जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है। अस्पताल के आपातकालीन कक्ष के मुख्य द्वार पर बहने वाले खुले नाले, मुख्य द्वार के दोनों बगल बहने वाले नाले, प्रसव कक्ष के पीछे फैली गंदगी भरे नाले, आक्सीजन प्लांट के पीछे बहने वाले शौचालय का मल और पानी अस्पताल में आने वाले मरीजों को बेहतर करने के बजाए बीमार कर रहा है। जिसकी जानकारी जिला प्रशासन के साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग के वरीय अधिकारियों को भी है। लेकिन आज तक समस्या का समाधान नहीं हो सका। कोई प्लान भी नहीं है। नगर परिषद द्वारा शौचालय की टंकी को कभी छह महीने तो कभी साल में एक बार साफ किया जाता है। जबकि नगर परिषद की ओर से सबसे अधिक होल्डिग टैक्स सदर अस्पताल से ही लिया जाता है। रैंप से मरीज को ओटी में ले जाने के दौरान होती है परेशानी
सदर अस्पताल में आपरेशन थिएटर दो मंजिल पर है। सदर अस्पताल में आए गंभीर मरीजों को वहां तक ले जाने के लिए रैंप के रास्ते गुजरना पड़ता है। रैंप में ढलाई के ऊपर फैब्रिक ब्लाक वाले खुरदरे ईंट लगे हुए हैं। जिस पर स्ट्रेचर के माध्यम से मरीज को ले जाने के दौरान इतनी तेज ध्वनि होती है कि पूरा अस्पताल गूंज उठता है। गंभीर मरीज को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस रैंप पर कई बार मेट लगाने की मांग उठाई गई है। साथ ही गंभीर मरीजों को आपरेशन थिएटर तक पहुंचाने के लिए अस्पताल में लिफ्ट लगाने की मांग भी उठती रही है। बावजूद इसके दोनों में से कोई व्यवस्था आज तक नहीं हो पाई है। माडर्न प्रसव कक्ष और आपातकालीन कक्ष की है जरूरत
आज बिहार में शिशु मृत्यु दर अन्य राज्यों के मुकाबले कम हुए हैं। जिसमें खगड़िया जिला का भी अहम योगदान है। यहां भी शिशु मृत्यु दर में भारी गिरावट आई है। लेकिन अस्पताल में फैली गंदगी और पुराने प्रसव कक्ष को देखकर ऐसा लगता है कि यह रिकार्ड अधिक दिनों तक कायम नहीं रह सकेगा। प्रसव और आपातकालीन कक्ष आज भी पुरानी व्यवस्था में चल रही है। जबकि इन दोनों कक्षों को इंफेक्शन मुक्त कक्ष के साथ-साथ आधुनिक तकनीकों से लैस करना बेहद जरूरी है।