बिहार में भूत के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी, आदेश के बाद तलाश में जुटी पुलिस
बिहार के खगड़िया कोर्ट के आदेश से पुलिस अब मुर्दे की गवाही के लिए उसे खोजने निकलेगी। कोर्ट ने इसके लिए वारंट जारी किया है। हैरान कर देने वाला यह मामला जानिए इस खबर में।
By Kajal KumariEdited By: Published: Mon, 11 Mar 2019 10:30 AM (IST)Updated: Mon, 11 Mar 2019 11:25 PM (IST)
खगडिय़ा [जेएनएन]। बिहार में पुलिस अब भूत को गिरफ्तार करने के लिए छापेमारी करेगी। चौंकिए नहीं, यह सच है। मामला खगडिय़ा की स्पेशल कोर्ट द्वारा मुर्दे की गवाही हेतु उसकी गिरफ्तारी का वारंट जारी करने का है। उत्पाद विभाग के सिपाही राजेश कुमार सिंह की वर्षों पूर्व मुंगेर में सड़क दुर्घटना में मौत हो चुकी है, जबकि उनके नाम पर अब वारंट जारी किया गया है।
यह है मामला
बताते चलें कि वर्ष 2006 में सिपाही राजेश कुमार सिंह खगडिय़ा उत्पाद विभाग में पदस्थापित थे। उसी समय शराब समेत तस्कर को गिरफ्तार किया गया था। इस आलोक में विभाग द्वारा वाद दायर किया गया, जिसमें सिपाही राजेश कुमार सिंह, सिपाही सुरेश प्रसाद सिन्हा, सिपाही उपेंद्र प्रसाद तथा अवर निरीक्षक अशेश्वर प्रसाद यादव को बतौर गवाह बनाया गया था। इसी तरह का एक अन्य मामला भी सामने आया। उसमें भी वाद दर्ज किया गया, जिसमें राजेश समेत अन्य को गवाह बनाया गया।
कोर्ट को नहीं बताया, गवाह की हो चुकी मौत
बताया जाता है कि अशेश्वर प्रसाद यादव समेत कई गवाह सेवानिवृत हो गए। कुछ का वर्षों पूर्व अन्य जिलों में तबादला हो गया। मुकदमे में तारीख दर तारीख चलती रही, लेकिन कोर्ट के संज्ञान में यह नहीं दिया गया कि गवाह की मौत हो गई अथवा वे सेवानिवृत हो गए। हाल ही में जब उक्त मामले की फाइल खुली तब इन गवाहों पर गवाही के लिए वारंट निर्गत किया गया।
अब गवाह की मौत का होगा सत्यापन
इस मामले पर स्पेशल कोर्ट के पीपी प्रियरंजन कुमार का कहना है कि किसी गवाह अथवा अभियुक्त की यदि मृत्यु हो गई, तो पुख्ता साक्ष्य संबंधित कोर्ट में प्रस्तुत करना चाहिए। इस बाबत खगडिय़ा के उत्पाद अधीक्षक कृष्ण मुरारी ने बताया कि सभी जिलों के सहायक आयुक्त उत्पाद, अधीक्षक उत्पाद को पत्र लिखकर आग्रह किया गया है कि उक्त मामले के गवाहों में शामिल सिपाही व अधिकारी यदि उनके जिलों में पदस्थापित हों, तो गवाही देने हेतु आदेशित करेंगे। उन्होंने सिपाही राजेश कुमार कर मौत के सत्यापन की भी बात कही।
यह है मामला
बताते चलें कि वर्ष 2006 में सिपाही राजेश कुमार सिंह खगडिय़ा उत्पाद विभाग में पदस्थापित थे। उसी समय शराब समेत तस्कर को गिरफ्तार किया गया था। इस आलोक में विभाग द्वारा वाद दायर किया गया, जिसमें सिपाही राजेश कुमार सिंह, सिपाही सुरेश प्रसाद सिन्हा, सिपाही उपेंद्र प्रसाद तथा अवर निरीक्षक अशेश्वर प्रसाद यादव को बतौर गवाह बनाया गया था। इसी तरह का एक अन्य मामला भी सामने आया। उसमें भी वाद दर्ज किया गया, जिसमें राजेश समेत अन्य को गवाह बनाया गया।
कोर्ट को नहीं बताया, गवाह की हो चुकी मौत
बताया जाता है कि अशेश्वर प्रसाद यादव समेत कई गवाह सेवानिवृत हो गए। कुछ का वर्षों पूर्व अन्य जिलों में तबादला हो गया। मुकदमे में तारीख दर तारीख चलती रही, लेकिन कोर्ट के संज्ञान में यह नहीं दिया गया कि गवाह की मौत हो गई अथवा वे सेवानिवृत हो गए। हाल ही में जब उक्त मामले की फाइल खुली तब इन गवाहों पर गवाही के लिए वारंट निर्गत किया गया।
अब गवाह की मौत का होगा सत्यापन
इस मामले पर स्पेशल कोर्ट के पीपी प्रियरंजन कुमार का कहना है कि किसी गवाह अथवा अभियुक्त की यदि मृत्यु हो गई, तो पुख्ता साक्ष्य संबंधित कोर्ट में प्रस्तुत करना चाहिए। इस बाबत खगडिय़ा के उत्पाद अधीक्षक कृष्ण मुरारी ने बताया कि सभी जिलों के सहायक आयुक्त उत्पाद, अधीक्षक उत्पाद को पत्र लिखकर आग्रह किया गया है कि उक्त मामले के गवाहों में शामिल सिपाही व अधिकारी यदि उनके जिलों में पदस्थापित हों, तो गवाही देने हेतु आदेशित करेंगे। उन्होंने सिपाही राजेश कुमार कर मौत के सत्यापन की भी बात कही।
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