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कटाव से बदलता है गांवों का भूगोल

खगड़िया। खगड़िया जिले में नदियां पूरे साल तांडव मचाती हैं। सावन-भादो में ये नदियां बाढ़ लाती ह

By JagranEdited By: Published: Tue, 24 Nov 2020 11:53 PM (IST)Updated: Tue, 24 Nov 2020 11:53 PM (IST)
कटाव से बदलता है गांवों का भूगोल
कटाव से बदलता है गांवों का भूगोल

खगड़िया। खगड़िया जिले में नदियां पूरे साल तांडव मचाती हैं। सावन-भादो में ये नदियां बाढ़ लाती हैं और कार्तिक में भी कटाव करती हैं। इस कारण गांवों का भूगोल बदलता रहता है। नदियों के किनारे रहने वाले लोग हमेशा सशंकित रहते हैं। न जाने कब किसका घर, टोला और गांव नदी में समा जाए। गाती हुई नदियां जब प्रलाप करती है, तो गांव और टोलों में सन्नाटा पसरने लगता है। कोसी कटाव से भयभीत हैं लोग

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फिलहाल जिले में कोसी कई गांवों में कटाव कर रही है। बीपी मंडल सेतु से एक किलोमीटर दूर अवस्थित डुमरी समेत नवटोलिया, पचाठ, गांधीनगर-इतमादी, बजरंगबली स्थान तेलिहार में कोसी कटाव जारी है। ये सभी गांव बेलदौर प्रखंड में अवस्थित हैं। जबकि चौथम प्रखंड के सरसवा पंचायत स्थित जंगली सिंह टोला में भी कोसी कटाव कर रही है। यहां सात वर्षों से कोसी का तांडव जारी है। वर्ष 2014 में यहां 110 घर नदी में विलीन हो गए थे। उस वर्ष की याद फिलहाल ताजा हो गई है। तेलिहार बजरंगबली स्थान के समीप फ्लड फाइटिग कार्य हुआ है, परंतु कोसी कब किस करवट बदले यह कहना मुश्किल है। यहां के कई लोगों के ऊपर सातवें बार विस्थापित होने का खतरा मंडरा रहा है।

डुमरी में स्थिति होती जा रही है भयावह

डुमरी गांव में कोसी उग्र रूप से कटाव कर रही है। जिससे यहां के लोग सहमे हुए हैं। चंद्र कुमार सिंह, जवाहर सिंह, महेश सिंह, धर्मेंद्र सिंह, प्रकाश ठाकुर, विभूति झा, रीता देवी आदि के घर कभी भी नदी में समा सकते हैं। रीता देवी कहती हैं कि कोसी मैय्या छह बार उजड़ा और उफना चुकी है और अब सातवें दफा विस्थापित होने का भय है। सोमवार को कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव डॉ. चंदन यादव ने भी यहां का जायजा लिया और अधिकारियों का ध्यान कटाव रोकने की ओर आकृष्ट कराया।


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