तालाब से तस्वीर बदलने की तैयारी, समन्वित मत्स्य प्रणाली बनेगा कुबेर का खजाना
खगड़िया। अब मत्स्य पालन के साथ-साथ किसान बत्तख पालन, मुर्गी पालन, पशुपालन, बागवानी के सहारे खेती
खगड़िया। अब मत्स्य पालन के साथ-साथ किसान बत्तख पालन, मुर्गी पालन, पशुपालन, बागवानी के सहारे खेती-किसानी की नई तस्वीर गढ़ेगे। इसको लेकर कृषि विज्ञान केंद्र खगड़िया ने पहल आरंभ कर दी है। फिलहाल बेलदौर प्रखंड के बेला नौवाद गांव से शुरुआत होगी। किसान आशीष कुमार कृषि विज्ञान केंद्र के तकनीकी सपोर्ट से इस दिशा में कदम बढ़ा चुके हैं। उनके पास फिलहाल दो तालाब है। दो और तालाब निर्माण की योजना है। कृषि विज्ञान केंद्र के प्रधान डॉ. ब्रजेंदु कुमार कहते हैं-समन्वित मत्स्य प्रणाली भविष्य में कुबेर का खजाना बनने वाला है। इस प्रणाली को अपनाकर मत्स्यपालक मछली के साथ-साथ दूध, अंडे, फल, सब्जियां और मांस प्राप्त कर सकते हैं।
जानिए इस प्रणाली की खासियत
एक हेक्टेयर के तालाब से सालभर में दो हजार क्विंटल मछली ले सकते हैं। तालाब के मेढ़ पर सब्जी उगाई जा सकती है। नींबू उगा सकते हैं। इसके साथ-साथ मुर्गी और बत्तख का पालन किया जा सकता है।
डॉ. ब्रजेन्दु कुमार के अनुसार एक हेक्टेयर तालाब का उपयोग कर किसान पांच से 10 लाख सलाना की आमदनी ले सकते हैं। वरीय वैज्ञानिक की माने तो समन्वित कृषि प्रणाली का सबसे बेहतरीन मॉडल
मत्स्यपालन आधारित समन्वित कृषि प्रणाली है। इससे लाभ यह होता है कि एक प्रणाली से उत्पन्न अवषिष्ट पदार्थ का उपयोग दूसरी प्रणाली में किया जा सकता है। जिससे किसानों अथवा मत्स्यपालकों को लागत में काफी कमी आती है। इस तरह से आएगी लागत में कमी
एक गाय से उत्पन्न गोबर एक हेक्टेयर तालाब के लिए पर्याप्त उर्वरक का काम करता है। साथ ही 10 बकरियां अथवा 300 बत्तख या
400 से 500 मुर्गी से प्राप्त अवषिष्ट पदार्थ एक हेक्टेयर तालाब के लिए पर्याप्त मात्रा में उर्वरक तैयार करता है। इससे मछली की उत्पादकता में वृद्धि होगी। मेढ़ पर उगने वाली सब्जियों के अवषिष्ट पदार्थ- चारा, घास आदि गाय, बकरी तथा ग्रासकार्प मछली के लिए आहार का कार्य करती है। डॉ. ब्रजेंदु कुमार कहते हैं- पुराने तालाब के तल से गाद काटकर उनका इस्तेमाल फल, सब्जियों के लिए एक बहुमूल्य उर्वरक के रूप में
किया जा सकता है। डॉ. ब्रजेंदु कुमार के अनुसार- एक हेक्टेयर तालाब से दो हजार ¨क्वटल मछली, 20 हजार मुर्गी के अंडे, चार सौ किलो मुर्गी का मांस, छह हजार बत्तख के अंडे, 50 किलो बत्तख का मांस प्राप्त कर सकते हैं। फलों में नींबू, अमरूद, अनार, केला तालाब के किनारे लगाकर आमदनी बढ़ा सकते हैं। फलों की बौनी किस्म के उन्नत प्रजाति लगाएं। अगर आम लगाते हैं, तो आम्रपाली, मल्लिका आदि लगा सकते हैं।
कोट
'समन्वित मत्स्यपालन आर्थिक समृद्धि का द्वार खोलेगा। देखा जाता है कि किसान बागवानी, पशुपालन, मुर्गीपालन, मत्स्यपालन, सब्जी उत्पादन एकल उद्यम के रूप में अपनाकर अपनी जीवकोपार्जन करते हैं। लेकिन खेती के इन आयामों को अगर जोड़ दिया जाए तो किसानों की आय में कई गुणा बृद्धि हो सकती है।'
डॉ. ब्रजेंदु कुमार, प्रधान, कृषि विज्ञान केंद्र खगड़िया।