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बलरामपुर के पटोल में नहीं पड़ा एक भी मत, सड़क को ले नाराज थे ग्रामीण

कटिहार। प्रखंड के लुत्तीपुर पंचायत अंतर्गत श्री पटोल गांव स्थित बूथ संख्या 64 पर एक भी वोट नही

By JagranEdited By: Published: Fri, 19 Apr 2019 01:28 AM (IST)Updated: Fri, 19 Apr 2019 06:44 AM (IST)
बलरामपुर के पटोल में नहीं पड़ा एक भी मत, सड़क को ले नाराज थे ग्रामीण
बलरामपुर के पटोल में नहीं पड़ा एक भी मत, सड़क को ले नाराज थे ग्रामीण

कटिहार। प्रखंड के लुत्तीपुर पंचायत अंतर्गत श्री पटोल गांव स्थित बूथ संख्या 64 पर एक भी वोट नहीं पड़े। अधिकारियों के मनुहार का भी कोई असर नहीं पड़ा। गांव में सड़क नहीं होने से नाराज लोगों ने मत डालने से साफ इंकार कर दिया। ग्रामीणों ने कहा कि जब तक गांव की सड़कों का पक्कीकरण नहीं होगा, तब तक वे लोग किसी भी मतदान में भाग नहीं लेंगे। गांव के प्राथमिक विद्यालय में बने मतदान केंद्र संख्या 64 में 937 मतदाता है। सुबह से ही इस बूथ पर सन्नाटा छाया रहा। मतदान कर्मी राह देखते रहे, लेकिन एक भी व्यक्ति मतदान केन्द्र की ओर नहीं फटके। मतदान कर्मियों को जब इसकी भनक लगी तो इसकी सूचना अधिकारियों को दी गई। मतदान के बहिष्कार की सूचना पर अनुमंडलाधिकारी पवन कुमार मंडल, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी पंकज कुमार, अंचल पुलिस निरीक्षक अनमोल कुमार, बलरामपुर और तेलता थानाध्यक्ष के साथ-साथ बलरामपुर बीडीओ भी गांव पहुंचे तथा मतदाताओं को समझाने का प्रयास किया। परंतु लाख समझाने के बाद भी मतदाता अपनी बात पर अडिग रहे। इस दौरान लोग सड़क नहीं तो मतदान नहीं, विकास नहीं तो मतदान नहीं, बहुत सहा है अब नहीं सहेंगे के नारे लगाते रहे। मतदाताओं में काफी आक्रोश दिखा गांव के सभी महिला, पुरुष एकमत होकर मतदान का विरोध करते रहे। यहां बता दें कि उक्त गांव कई टोलों में बंटा हुआ है एवं यहां विभिन्न जाति वर्ग तथा समुदाय के मतदाता निवास करते हैं। सबसे अधिक मतदाता राजवंशी समुदाय के हैं। परंतु विकास के मुद्दे पर सभी ग्रामीण एकमत होकर वोट का बहिष्कार किया। ग्रामीण अमर यादव ने कहा कि हमें भी काफी दुख है कि भारतीय संविधान के महापर्व मतदान दिवस में हम भाग नहीं ले रहे हैं, लेकिन यह हम लोगों की विवशता है। गांव के अंदरूनी सड़क कच्ची है। जगह-जगह घुटने और कमर तक पानी व कीचड़ जमा रहता है। मु. अशरफुल ने कहा कि दो तरफ नदी से घिरे हमारे गांव के लोग आज भी एक साथ कई परेशानियां झेल रहे हैं। रतन दास ने बताया कि बरसात के दिनों में मुख्य सड़क या आसपास के बाजार तक जाने के लिए एक अदद नाव तक हमें उपलब्ध नहीं होती। विजय राय का कहना है कि नदी के कटान के चलते हमारे गांव की दर्जनों घर नदी के गर्भ में समा चुके हैं।

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