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दो दशक से अधर में लटकी है कुरसेला-बिहारीगंज रेल परियोजना

कटिहार। कुरसेला-बिहारीगंज के बीच महत्वाकांक्षी रेल परियोजना की आस दो दशक बाद भी पूरी

By JagranEdited By: Published: Mon, 04 Jan 2021 11:15 PM (IST)Updated: Mon, 04 Jan 2021 11:15 PM (IST)
दो दशक से अधर में लटकी है कुरसेला-बिहारीगंज रेल परियोजना
दो दशक से अधर में लटकी है कुरसेला-बिहारीगंज रेल परियोजना

कटिहार। कुरसेला-बिहारीगंज के बीच महत्वाकांक्षी रेल परियोजना की आस दो दशक बाद भी पूरी नहीं हो पाई है। सर्वे और शिलान्यास के बाद भी इस परियोजना पर काम शुरू नहीं हो पाया है। समस्तीपुर रेल मंडल के अंतर्गत आने वाली इस रेल परियोजना को लेकर रेलवे के वरीय अधिकारी कुछ भी स्पष्ट रूप से बताने से इंकार करते हैं। कुर्सेला और बिहारीगंज के बीच करीब 58.35 किमी लंबी रेल लाईन इस परियोजना के तहत बिछाई जानी है। कोसी और सीमांचल के बीच रेल कनेक्टिवटी बढ़ने से स्थानीय किसानों और व्यापारियों के लिए भी ही उपयोबी साबित होगी। कुर्सेला, रूपौली, धमदाहा एवं टीकापट्टी का सीधा रेल संपर्क मधेपुरा जिले के बिहारीगंज से होगा। भूमि अधिग्रहण और फंड के अभाव की पेंच में यह महत्वपूर्ण रेल परियोजना अधर में लटका हुआ है। तत्कालीन रेलमंत्री रामविलास पासवान के कार्यकाल में वर्ष 1998 में इस रेल परियोजना को लेकर भूमि सर्वे कराया गया था। 1999 में इसकी आधारशिला भी रखी गई थी। तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल में वर्ष 2008-09 में इस रेल परियोजना को महत्वपूर्ण मानते हुए बजट भी पारित किया था। परियोजना पर काम पूरा करने के लिए अनुमानित लागत 192.56 करोड़ स्वीकृत भी की गई थी। परियोजना पर काम शुरू करने के लिए 42.99 करोड़ की का आवंटन भी किया गया था। लेकिन इसके बाद भी यह परियोजना फाइलों में ही अटकी रह गई। इस रेल परियोजना के प्रस्तावित प्रारूप में 74 पुल और 48 समापार भी बनाया जाना है। कुर्सेाला-बिहारीगंज के बीच रूपौली, धूसमर, टीकापर्टी, धमदाहार होते हुए रेल लाईन बिछाई जानी थी। रेलवे की मानें तो प्रस्तावित रेल परियोजना को लेकर भागीदारी के लिए राज्य सरकार को लिखा गया था। लेकिन राज्य सरकार द्वारा इस संबंध में किसी तरह का जवाब रेलवे बोर्ड को नहीं दिया गया।

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वर्षों पुरानी है इस रेल परियोजना की मांग

कुरसेला-बिहारीगज के बीच रेल सेवा की मांग वर्षों से इस क्षेत्र के लोग कर रहे हैं। तत्कालीन रेलमंत्री ललित नारायण मिश्रा के कार्यकाल में भी इस परियोजना को लेकर सुगबुगाहट तेज हुई थी। हर चुनाव में यह मुद्दा प्रमुखता से उठता रहा है। भूमि सर्वे और शिलान्यास के बाद परियोजना पर काम शुरू होने की उम्मीद जगी थी। सर्वे और शिलान्यास संबंधी बोर्ड भी कुर्सेला के समीप तथा रूपौली में लगाया गया था। परियोजना संबंधी बोर्ड भी अब गायब है। रेल परिचालन शुरू होने से धान, मक्का एवं सब्जी उत्पादक स्थानीय किसानों एवं व्यापारियों को अपना माल एक जगह से दूसरी जगह भेजने में भी आसानी होती।


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