एचओजी तकनीक से हर साल होगी 1132 किलोलीटर डीजल की बचत
कटिहार। पर्यावरण व उर्जा संरक्षण को लेकर रेलवे ने ट्रेन के लिक हॉफमैन बुष एलएचबी को
कटिहार। पर्यावरण व उर्जा संरक्षण को लेकर रेलवे ने ट्रेन के लिक हॉफमैन बुष एलएचबी कोच को हेड ऑन जेनरेशन तकनीक से जोड़े जाने की योजना तैयार की है। पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे से गुजरने वाली दो ट्रेनों को इस तकनीक से लैस किया गया है। एचओजी तकनीक से परिचालित होने वाली ट्रेन के एसी कोच, पंखे, लाइट सहित अन्य विद्युत उपकरण चलाने के लिए पावर सप्लाई सीधे ओवरहेड विद्युतीकरण तार से किया जाएगा। एनजेपी से नई दिल्ली के बीच अप व डाउन में परिचालन के दौरान ट्रेन के जेनरेटर कोच को शट डाउन मोड में रखा जाएगा। दिल्ली-डिब्रूगढ़ ब्रह्मापुत्रा मेल तथा नई दिल्ली- अगरतला राजधानी स्पेशल ट्रेन को इस नई तकनीक से लैस किया गया है। अप ट्रेन में एनजेपी से दिल्ली तक तथा डाउन ट्रेन में दिल्ली से एनजेपी तक परिचालन के दौरान जेनरेटर कार को बंद रखा जाएगा। पावर सप्लाई सीधे ओवरहेडेड विद्युतीकरण तार से होने के कारण इन दो ट्रेनों से ही पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे को प्रति वर्ष 1132 किलो लीटर डीजल की बचत होगी। अनुमान के मुताबिक हर साल डीजल मद में 7.61 करोड़ की बचत रेलवे को होगी। पर्यावरण संरक्षण की ²ष्टि से भी यह नई तकनीक महत्वपूर्ण साबित होगा। जेनरेटर कार का उपयोग नहीं होने से कार्बन उत्सर्जन भी शून्य तक पहुंच जाएगा। इससे वायु प्रदूषण पर भी बहुत हद तक अंकुश लग सकेगा। साथ ही ध्वनि प्रदूषण का स्तर घटने से वातावरण के एयर क्वालिटी इंडेक्स एक्यूआई में भी सुधार होगा। रेलवे द्वारा सभी महत्वपूर्ण एवं स्पेशल ट्रेन को एचओजी तकनीक से लैस किए जाने की योजना पर काम चल रहा है। पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे में 39 एलएचबी कोच को एचओजी तकनीक से परिचालित करने को लेकर इस अनुरूप परिवर्तित किए जाने पर काम चल रहा है। अब तक 23 रैक को एएचओजी तकनीक आधारित परिवर्तित किया जा चुका है। विद्युतीकरण के बाद भी अब तक ट्रेन के इंजन में ही पावर सप्लाई विद्युतीकरण तार से होता है। नई तकनीक लगाए जाने से एसी कोच सहित अन्य डिब्बों में विद्युत उपकरण चलाने के लिए जेनरेटर कार पर निर्भरता घटेगी। जल्द ही सभी महत्वपूर्ण एवं स्पेशल ट्रेनों को एचओजी तकनीक से परिचालित किया जाएगा।