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गांव-गांव घूमकर निरक्षरता का कलंक मिटा रही रूमा

तौफिक आलम संसू फलका(कटिहार) गांव-गांव घूमकर अक्षर ज्ञान की लौ जलाने वाली रूमा श्रीवास्तव ने फलका प्रखंड क्षेत्र में टीचर दीदी के रूप में अपनी पहचान बनाई है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Jan 2022 09:19 PM (IST)Updated: Wed, 19 Jan 2022 09:19 PM (IST)
गांव-गांव घूमकर निरक्षरता  का कलंक मिटा रही रूमा
गांव-गांव घूमकर निरक्षरता का कलंक मिटा रही रूमा

तौफिक आलम, संसू, फलका(कटिहार) : गांव-गांव घूमकर अक्षर ज्ञान की लौ जलाने वाली रूमा श्रीवास्तव ने फलका प्रखंड क्षेत्र में टीचर दीदी के रूप में अपनी पहचान बनाई है। गांव के बच्चे और महिलाएं उन्हें देखते ही टीचर दीदी कहकर आवाज लगाती हैं।

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फलका बाजार की निवासी रूमा श्रीवास्तव 12 वर्षों से सैकड़ों निरक्षर महिलाओं को साक्षरता का पाठ पढ़ाकर निरक्षरता का कलंक मिटाया है।

शिक्षा के क्षेत्र में उनके कार्य को देखते हुए वर्ष 2017 में महिला दिवस के अवसर पर जिला प्रशासन द्वारा उत्कृष्ट महिला सम्मान से सम्मानित भी किया गया है। सुबह से शाम तक गांव व टोलों में घूम घूमकर महिलाओं व बच्चों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने का काम करती है। जागरूकता के साथ-साथ शिक्षा के महत्व को बताते हुए निरक्षर महिलाओं को साक्षर बनाने का काम भी कर रही हैं। उनके इस प्रयास की क्षेत्र के लोग प्रशंसा करते नहीं थकते हें। इंटर तक की पढ़ाई करने वाली रूमा गांव की महिलाओं के लिए टीचर दीदी बन गई है। उनके पति भानु प्रताप लाल का भी सहयोग उन्हें मिलता है। गांव व टोलों में निरक्षर महिलाओं को एकत्रित कर एक से दो घंटे तक पढ़ाने का काम करती हैं। स्कूल जाने से वंचित बच्चों को विद्यालय में नामांकन कराने को लेकर भी प्रयासरत रहती हैं। रूमा ने बताया कि उनके पिता कपिल प्रसाद अंबष्ठ से लोगों को शिक्षा के प्रंति जागरूक करने तथा निरक्षरता का कलंक मिटाने की प्रेररणा मिली। उनके पिता पिछले 25 से वर्षों से साक्षरता विभाग में कार्य कर रहे हैं। उनका कहना है कि महिलाओं में शिक्षा अतिआवश्यक है। अगर एक महिला शिक्षित होती है तो उनका पूरा परिवार शिक्षित होगी। इस काम को करने से उन्हें सुकून मिलता है।

--- क्या कहते हैं शिक्षा पदाधिकारी

प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी रामदहिन प्रसाद ने कहा कि रूमा श्रीवास्तव समाज महिलाओं के बीच शिक्षा का मंत्र बांटने का अनूठा काम कर रही हैं। उनके प्रयास से दर्जनों निरक्षर महिलाएं अब साक्षर हो चुकी है। स्कूल से वंचित बच्चों को विद्यालय में नामांकित कराने को लेकर उनका सहयोग सराहनीय है।


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